छत्तीसगढ़ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्राथमिक विद्यालयों से बर्खास्त किए गए बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने अपने हक के लिए एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। 97 दिनों से नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे इन शिक्षकों ने हताशा के आलम में अपने खून से मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी समायोजन की मांग जल्द पूरी नहीं हुई, तो वे आंदोलन को उग्र रूप देने के लिए मजबूर होंगे।
बता दें कि गुरुवार को धरना स्थल पर हजारों बर्खास्त शिक्षकों ने एक साथ अपने खून से हस्तलिखित निवेदन पत्र तैयार किए। यह पत्र मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों के नाम लिखा गया, जिसमें शिक्षकों ने अपनी सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को दोहराया। उनका कहना है कि सरकार के पास संवैधानिक अधिकार है कि वह इन शिक्षकों को समायोजित करे, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। शिक्षकों ने कहा, हमारा संघर्ष केवल न्याय के लिए है। जब तक हमें हमारा हक नहीं मिलेगा, हम पीछे नहीं हटेंगे।
नौकरी के बदले नौकरी चाहिए-
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे शिक्षकों का कहना है कि उनकी भर्ती राज्य सरकार के राजपत्र में प्रकाशित नियमों के आधार पर हुई थी। हमने परीक्षा दी, मेहनत की, अच्छे अंक लाए और नौकरी पाई। अगर भर्ती प्रक्रिया में कोई गलती नहीं थी, तो हमें क्यों सजा दी जा रही है? शिक्षकों ने सवाल उठाया। उनका तर्क है कि जब भर्ती लेने वाले अधिकारी दोषी नहीं माने गए, तो उनकी नौकरी क्यों छीनी गई? सरकार द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार अब भी जारी है, लेकिन शिक्षकों का धैर्य जवाब दे रहा है। जब तक नौकरी नहीं मिलेगी, हम यहां से नहीं हटेंगे, उन्होंने दृढ़ संकल्प जताया।
उग्र आंदोलन की तैयारी-
शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से त्वरित निर्णय की अपील की है। उनका कहना है कि समायोजन की प्रक्रिया शुरू कर उनके भविष्य को बचाया जाए। हालांकि, लंबे इंतजार और अनसुनी मांगों से परेशान शिक्षकों ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो वे आंदोलन को उग्र रूप देने के लिए मजबूर होंगे।