टेकापार कला में विधिक जागरूकता शिविर आयोजित, एडीजे चन्द्र कुमार कश्यप ने छात्रों व ग्रामीणों को सिखाए कानून के गुर
खैरागढ़ :- अध्यक्ष आलोक कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ द्वारा ग्राम टेकापार कला में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. शिविर की अध्यक्षता अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्र कुमार कश्यप द्वारा की गई। शिविर में ग्राम टेकापार कला के ग्रामीणों व छात्रों द्वारा कानून के विभिन्न प्रावधानों को लेकर जानकारी प्राप्त की गई. इस मौके पर एडीजे कश्यप ने शिविर में ग्रामीणों को न्याय प्रक्रिया में आ रही मुश्किलों और प्रश्नों को भी सुना और उनका सामाधान बताया गया।इस दौरान एडीजे कश्यप ने बताया गया कि बच्चे भगवान का रूप माने जाते है। बच्चों का बाल मन शारीरिक एवं मानसिक रूप से अपरिपक्व होता है ऐसे में वे अपने साथ होने वाली अच्छी या बुरी घटनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त नहीं कर पाते। समाज में आपराधिक प्रवृति के कुछ लोग बच्चो के इसी बालपन का फायदा उठाते है एवं बच्चों के साथ यौन-शोषण जैसे कुकृत्यों को अंजाम देते है। मासूम बच्चे इन सभी चीजों के बारे में खुलकर नहीं बता पाते परन्तु इन घटनाओ का बच्चों के बाल मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है एवं वे अपने जीवन भर इन सभी चीजों से बाहर नहीं आ पाते। सरकार द्वारा बच्चो के प्रति होने वाले बाल यौन-अपराधों पर अंकुश लगाने एवं अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए पॉक्सो अधिनियम लागू किया गया है।
पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान रखा गया है। बच्चो के विरुद्ध यौन अपराधों में बच्चों का यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी को शामिल किया गया है। पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों के साथ अश्लील हरकत करना, उनके प्राइवेट पार्ट्स को छूना या बच्चों से अपने प्राइवेट पार्ट को टच करवाना, बच्चों को अश्लील फिल्म या पोर्नोग्राफिक कंटेंट दिखाना, बच्चों के शरीर को गलत इरादे से छूना या बच्चों के साथ गलत भावना से की गयी सभी हरकते इस एक्ट के तहत रेप की श्रेणी में रखी गयी है एवं इन सभी अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान भी किया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र के बालक व बालिकाओं का सहमति का औचित्य नहीं होता। पास्को अधिनियम 2012 में बाल यौन शोषण से निपटने के लिए एक विशेष अधिनियम के रूप में अधिनियमित किया गया है। बाल पीड़ितों व अभियुक्तों के संबंध में तट्स्थ कानून है।
आगे जानकारी देते हुए व्यवहार न्यायाधीश गुरु प्रसाद देवांगन ने कहा कि यदि कहीं कोई समस्या है तो उसका समाधान होता है। आवश्यकता इस बात की है कि उसकी जानकारी हमें होनी चाहिए। अगर लोगों को अपने अधिकारों की जानकारी होगी तो उसका लाभ अवश्य उठा सकते हैं।उन्होंने कहा कि कानूनी जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रत्येक जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और प्रत्येक तहसील में तहसील विधिक सेवा प्राधिकरण स्थापित है। जिनका लाभ लोगों द्वारा उठाया जा सकता है। जमीन के बंटवारे को समय पर नहीं करवाने से मुकदमों का सहारा लेते हैं। बंटवारा करवाने से जमीन के मालिकों के बीच उनके हिस्से के बारे में पता चल जाता है, जिससे लोगों को न्यायालय तक पहुंचने की नौबत नहीं आती है। तत्पश्चात पैरा लीगल वालंटियर गोलूदास साहू ने नि:शुल्क विधिक सहायता, नालसा टोल फ्री नंबर 15100, महिला हेल्पलाइन नंबर 181, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 आदि के संबंध में बताया गया।उक्त कार्यक्रम में कार्यक्रम अधिकारी डाइट के के वर्मा, महेश साहू,सरपंच राजेश सिंह,पैरा लीगल वालंटियर गोलूदास साहू व बड़ी संख्या में छात्र व ग्रामीण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गोलूदाससाहू द्वारा किया गया।