राजू अग्रवाल खैरागढ़
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ यह विश्वविद्यालय खैरागढ़ ही नहीं पूरा देश के लिए और एशिया महाद्वीप के लिए गोरव है अपना कला संगीत नित्य वाद्य एवं फाइन आर्ट के लिए साथ ही स्थानीय लोक संगीत एवं गीत मूर्ति कला के लिए जाना जाता है और खैरागढ़ कि नहीं देश को भी गौरव होता है विश्व विश्वविद्यालय होने से इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का स्थापना खैरागढ़ रियासत के रानी पद्मावती देवी एवं राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह के सोच का नतीजा है तत्कालीन देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तत्कालीन शिक्षा मंत्री शंकर दयाल शर्मा एवं अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ला जी के सहयोग से इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति मिल पाया था शुरू में इस इंस्टिट्यूट का स्वरूप काफी छोटा था लेकिन खैरागढ़ के राजा और रानी का दिल बहुत बड़ा था । महल भी बड़ा था इसलिए खैरागढ़ में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को शासन ने मान्यता देकर खोलने में सहयोग किया जिस समय राजा वीरेंद्र बहादुर रानी पद्मावती देवी ने इस विश्वविद्यालय को खोलने का कल्पना किया और उसे अमलीजामा पहनाना शुरू किया गया उस समय लोगों को समझाना बड़ा कठिन था के संगीत गीत नृत्य एवं शिक्षा भी विधिवत दिया जा सकता है क्योंकि संगीत का शिक्षा गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत शिक्षा दिया जाता था उसका कहीं पर भी कोई डिग्री नहीं दिया जाता था धीरे-धीरे समय बीतता गया और इस विश्वविद्यालय की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी डंका बजने लगा यह हम समस्त खैरागढ़ वासियों के लिए बड़ा गौरव की बात है कि खैरागढ़ में इस प्रकार के सोच के दूरगामी परिणाम को समझने वाले विभूति थे। जिस समय संगीत एवं कला नाम के संस्था को खोला गया उस समय राजा और रानी का सोच यह था कि इस संस्था से प्रतिभावान लोग डिग्री लेकर के अपने कला को देश के साथ ही विदेशों में भी उसका महक पहुंचाएंगे राजा रानी ने कभी यह नहीं सोचा था कि यहां पर जिन लोगों के ऊपर बच्चों का विद्यार्थियों का भविष्य सांवरेगा वही कुछ स्वार्थी लोग इस संस्था को अपना जीवीका उपार्जन का जरिया बनाना शुरु कर देंगे।
मुझे याद है एक समय इस विश्वविद्यालय में एक इंस्ट्रूमेंट्स का जिसे सरल भाषा में संगीत यंत्र का एक शिक्षक था जिसने एक विद्यार्थी के साथ दुर्व्यवहार कर दिया था उसे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय प्रशासन एवं नगर के गणमान्य नागरिक साथ ही पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया था उसे यहां से अपना नौकरी छोड़कर जाना पड़ा था । बाद बाद में यहां पर बहुत सारी घटनाएं हुई और उन्हें बचाने वाले सेनाओं का एक जत्था तैयार हो गया जिन्होंने यहां पर पढ़ने वाले विद्यार्थी यहां पर काम करने वाले सेवकों के साथ काफी कुछ गलत किया और उन्हें अभय दान मिला उनका साहस बढ़ता रहा जो अब तक जारी है यहां पर एक वायलिग के शिक्षक हुआ करते थे उनके परिवार के बच्चों के साथ बड़ा गलत हुआ और उन्हें इस शहर से और इस दुनिया से जाना पड़ गया। हाल ही का घटना है इस विश्वविद्यालय में घटना हुआ उन घटनाओं पर पर्दा डाल दिया गया । इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन से काफी धन प्राप्त होता है जिससे खैरागढ़ में इस विश्वविद्यालय को सवारने यहां पर पड़ने वाले विद्यार्थियों के लिए सुविधा और नगर वासियों के लिए खैरागढ़ महोत्सव जैसे कार्यक्रमों के लिए काफी धन शासन से प्राप्त होता है सुनने में बहुत सारी बातें आती है लेकिन इसे साबित करना कठिन हो गया है। आम तौर पर देखा गया है । बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड में जागरूक नागरिकों की कमी नहीं है जो जनता के अधिकार को छिनने की कोशिश करते हैं उन्हें सबक सिखाने के लिए लोग सामने आते हैं एक समय था जब लोग गलत होता था आवाज उठाते थे लेकिन ऐसा लगता है कि जिन लोगों के पास अधिकार एवं ताकत है वह भी गलत हो रहा है उसके खिलाफ कुछ करने के लिए हिचकिचाते हैं।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय आज के हरा भरा घास का मैदान जैसा हो चला है जिसे देखकर खैरागढ़ वासियों को बड़ा सुकून मिलता है।
दूसरी ओर इस हरे-भरे मैदान को बचाने की आवश्यकता है।
हाल ही में उच्च न्यायालय बिलासपुर से आदेश जारी हुआ है जिसमें कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के नियुक्ति के संबंध में जांच आदेश जारी हुआ है साथ ही आज ही नवभारत समाचार पत्र में रविशंकर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पर भी नियुक्ति के संबंध में कुछ आदेश जारी हुआ है ऐसा पढ़ने को मिला इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में जो भी अनियमितताएं हुई है या हो रही है उस पर भी उच्च न्यायालय से कुछ आदेश होनी चाहिए जिसके लिए उच्च न्यायालय में खैरागढ़ वासी प्रबुद्ध वर्ग सामने आएं।
जिससे विश्वविद्यालय का ख्याति बना रहे ।