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महिला आरक्षण की आड़ में दो पतियों की मनमानी!* बिना लीज–रॉयल्टी मुरूम खनन, शासन को लाखों का नुकसान

*महिला आरक्षण की आड़ में दो पतियों की मनमानी!*

बिना लीज–रॉयल्टी मुरूम खनन, शासन को लाखों का नुकसान

— लाल टोपी राजू सोनी

ग्राम पंचायत चारभाठा, जनपद राजनांदगांव, जिला राजनांदगांव

 

ग्राम पंचायत चारभाठा में प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर बिना लीज और रॉयल्टी के मुरूम खनन का मामला सामने आया है। खनिज विभाग की कार्रवाई में दो जेसीबी और तीन हाईवा ज़ब्त की गईं, जिससे अवैध खनन की पुष्टि होती है।

 

चौंकाने वाली बात यह है कि:

ग्राम पंचायत के सरपंच पति ने पंचायत प्रस्ताव का हवाला देकर खनन की मौखिक अनुमति दी, जबकि जिला पंचायत खनिज न्याय सभापति के पति का कहना है कि किसानों और पंचायतों को खनन की खुली छूट मिलनी चाहिए, प्रस्ताव की कोई आवश्यकता नहीं।

स्थानीय ग्रामीणों का दावा है कि बीते सप्ताह दिन-रात खनन हुआ, और ट्रकों में भरकर मुरूम दुर्ग तक भेजा गया। सवाल उठता है कि:

क्या यह मुरूम वास्तव में प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को मिला?

क्या इस योजना के नाम पर अवैध खनन को वैधता दी जा रही है?

और सबसे अहम – इसका फायदा किसे मिला?

महिला आरक्षण का मखौल

यह घटना महिला आरक्षण की आत्मा के खिलाफ जाती है। निर्वाचित महिलाएं केवल नाम की सरपंच और सदस्य हैं, जबकि असली नियंत्रण उनके पतियों के हाथ में है। यह जनप्रतिनिधित्व के मूल उद्देश्य और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सीधा अपमान है।

प्रशासन और खनिज विभाग के लिए सवाल

1. मुरूम खनन स्थल की भौतिक जांच कब होगी?

2. निकाले गए मुरूम की मात्रा और नुकसान का आकलन कौन करेगा?

3. क्या दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज होगा या कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रहेगी?

यह मामला सिर्फ एक पंचायत का नहीं, बल्कि स्थानीय स्वशासन की साख और महिला नेतृत्व की गरिमा से जुड़ा है। यदि इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह प्रवृत्ति पूरे जिले में कानून को ठेंगा दिखाने का उदाहरण बन सकती है।

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