गातापार जंगल चेक पोस्ट में पकड़ाया 300 बोरा अवैध धान
राजनांदगांव में खपाने की थी तैयारी
खैरागढ़,। राजनांदगांव में अवैध तरीके से परिवहन कर खपाने लाए जा अवैध धान की बड़ी खेप को गातापार जंगल चेक पोस्ट में अधिकारियों ने पकड़ा।
गातापार चेक पोस्ट में मप्र से राजनांदगांव लाए जा रहे 300 बोरा धान लगभग 120 क्विंटल को राजस्व, कृषि उपज मंडी, खादयविभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने पकड़ा। वाहन क्र. एमएच 40 बीएल 0886 में मप्र से बिना कागजात के 3 सौ बोरा धान राजनांदगांव भेजा गया था। चेकपोस्ट में जांच के दौरान वाहन की जांच की इस दौरान वाहन में 3 सौ बोरा धान मिला। वाहन चालक से धान के दस्तावेज मांगने पर कोई कागजात नहीं मिले। वाहन चालक संदीप राऊत ग्राम हटटा जिला बालाघाट ने बताया है कि यह बहन में रखेगांव के किंजल ट्रेडर्स से 120 किंटल धान भरकर राजनांदगांव के डी एस ट्रेडर्स के पास पहुंचाने निकला था। धान का अनुज्ञापत्र दिया गया था लेकिन धान खरीदी के दौरान संबंधित इलाके के खाद्य विभाग की अनुमति नहीं ली गई थी। जिस पर अधिकारियों ने इस अवैध परिवहन पर गातापार पुलिस के सुपुर्द किया है। वाहन महाराष्ट्र पासिंग है लेकिन धान रजेगांव से लोड कर भेजा गया था। वाहन के मालिक का नाम पंकज नेवारे बताया गया है। कार्यवाही के दौरान खाद्य अधिकारी विनोद सागर, कृषि उपज मंडी सचिव सुदेश सिंह, उपनिरीक्षक रामकिशुन सिन्हा सहित गातापार पुलिस और राजस्व के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।
महाराष्ट्र और मप्र से आता है धान
गातापार जंगल इलाके में लगभग हर साल मप्र और महाराष्ट्र इलाके से बड़ी मात्रा में अवैध धान का परिवहन होता है। इसका प्रमुख कारण खैरागढ़ सहित राजनांदगांव कवर्धा जिले के धान सोयाबीन, चना बड़ी मात्रा में महाराष्ट्र और मप्र भेजा जाता है। गातापार जंगल इलाका अवैध परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यहाँ केवल एक ही चेकपोस्ट होने से कई बार बचने का फायदा मिलता है। इसी को लेकर प्रशासन ने इस बार यहाँ कड़ी घेराबंदी कर रखी है।
धान खरीदी के दौरान प्रमुख टेडर्स व्यवसायी अवैध धान को खपाने औने पौने रेट में धान लेकर उसे छग मंगाते हैं ताकि विभिन्न समितियों में इस धान को खपाकर समर्थन मूल्य की राशि वसूली जा सके। इसके लिए छोटे रकबे वाले किसानों को निशाना बनाया जाता है। प्रति एकड़ 21 किंटल धान की खरीदी होने से छोटे रकबे वाले किसान अपना धान रखकर ऐसे टेडर्स वालो के धान अपने ऋष्ण पुस्तिका से बेचते हैं। किसानों से पहले तयशुदा धान की दर किसानों को दे दी जाती है, बाकी रकम ट्रेडर्स वाले अपने पास रख लेते हैं। इससे ऐसे अवैध धान विक्री से इन ट्रेडर्स व्यापारियों को सीधे सीधे दुगुना फायदा होता है।