रोजगार संसद का आयोजन विज्ञान भवन बख्शी स्कूल खैरागढ़ में देश की बात फाउंडेशन के व्दारा आयोजित किया गया।
खैरागढ़ : रोजगार संसद का आयोजन विज्ञान भवन बख्शी स्कूल खैरागढ़ में देश की बात फाउंडेशन के व्दारा आयोजित किया गया जिसमें बेरोजगारी के समाधान के बारे में चर्चा की गयी तथा राष्ट्रीय रोजगार नीति के बारे मे युवाओं को बताया गया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ दीप्ति धुरंधर, अकेडमीक कोच विप्लव साहू औऱ किसान नेता प्रवीण श्योकंद रहे.
देश की बात फाउंडेशन की स्टेट कोर्डिनेटर डॉ दीप्ति धुरंधर ने राष्ट्रीय रोजगार नीति के ड्राफ्ट के बारे में बताया और कहा कि मिनी टेक्नालॉजी, मिनीमम क्रेडिट सपोर्ट, माइंडसेट एन्ड स्किल ट्रेनिंग से रोजगार के अवसर पैदा किये जा सकते हैं तथा 60 लाख सरकारी पदो पर भर्ती जल्द से जल्द हो।
बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए अभी तक नीतियां नहीं बनाई गईं। आजादी के सात दशक से अधिक समय बीतने पर भी देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बन पाई है। यही वजह है कि देश की बात फाउंडेशन ने बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए देश के सामने राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने की पहल की है।
विप्लव साहू ने कहा कि सकारात्मक राष्ट्रवाद के दृष्टिकोण से राष्ट्र का निर्माण हो सकता है और हम अर्थव्यवस्था को ऊपर उठा सकते हैं। रोजगार के अलग अलग तरीके फार्मल और इनफार्मल भी होते हैं। आज देश बेरोजगारी के भयावह संकट से जूझ रहा है। डिग्रियां लेकर भी युवा दर-दर भटक रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रभारी प्रवीण श्योकंद ने कहा रोजगार का नया सृजन करना तो दूर देशभर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भी भर्ती नहीं की जा रही है, जहां भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जिससे काम करने के बावजूद लोगों को सम्मान पूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है। प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है। पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और अधिक चिंताजनक स्थिति में पहुंचा दिया। बेरोजगारी की समस्या न सिर्फ गांव के लोगो की है बल्कि जो लोग बड़े-बड़े शहरों में रहते हैं, उनकी समस्या भी है।
आये हुए अतिथियों औऱ शामिल श्रोताओं का आभार करते हुए नीलेश यादव ने कहा कि हर चीजों के लिए कानून और नीति बना है रोजगार के लिए भी नीति बनना चाहिए.
कार्यक्रम में मंजू चतुर्वेदी, डॉ सेखु वर्मा, गोलूदास साहू, किशोर निषाद, रेखलाल कौशिक, कामेश जंघेल, हर्ष वर्मा, प्रदीप वर्मा, खलील कुरैशी, मनोज गुप्ता, महेन्द्र साहू, भूषण सिन्हा आदि दर्जनों साथी उपस्थिति रहे।