प्रतिनियुक्ति पर आए शिक्षक द्वारा चिन्हांकित कर छात्रो से दुर्व्यवहार
( मामला स्वामी आत्मानंद स्कूल छुईखदान का-छात्रों को कुत्ता कहकर बुलाता है।)
छुईखदान-भारत में स्कूल को मां सरस्वती का मंदिर और शिक्षकों को पुजारी कहा जाता है,और इस मंदिर के सेवक अर्थात शिक्षको से यह अपेक्षा की जाती है कि उनका व्यवहार अपने सभी छात्र-छात्राओं के प्रति समान व शिष्ठ होगा औैर ताकि शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चे आगे चलकर अपनें शिक्षकों के पदचिन्ह पर चलते हुए एक शिष्ठ व सभ्य समाज की स्थापना करे यही अपेक्षा पूरे समाज को एक शिक्षक से होती है इसीलिए शिक्षको को भाग्य विधाता(भविष्य निर्माता) का भी दर्जा दिया जाता है परन्तु देवगुरू ब्रहस्पति के साथ ही शिक्षक समाज मंे अपवाद स्वरूप एैसे भी शिक्षक होते हैं जिनकी कार्यशैली और अपने ही छात्र-छात्राओ के प्रति पूर्वाग्रह व दुर्भावना से ग्रसित होता है जिनके व्यवहार पूरे शिक्षक जगत को कलंकित करने वाला होता है।
ठीक इसी प्रकार की घटना गत दिनो यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की महात्वाकांक्षी योजना स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के माध्यमिक कक्षा मे देखने को मिली,प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्तमान मे कंजक्टिव आईटिस नामक आंख की बीमारी अनेको शहरो मे फैली है जिसके चलते लक्षण युक्त बच्चों को अवकाश पर भेजे जाने की व्यवस्था स्कूल प्रशासन की ओर से की जा रही है और यदि कोई छात्र उपचार के बाद लौटता है तो उसे उसी तरह से स्थान दिए जाने की अपेक्षा पालक वर्ग की ओर से की जा रही है जैसे वह पहले स्वस्थ था तब किया जाता था।
परन्तु यहां के एक शिक्षक के द्वारा चिन्हांकित छात्रों से अनेंको आधार बनाकर दोयम दर्जे का दुर्व्यवहार किए जाने ंकी खबर छात्रो की ओर से प्राप्त हुई है जबकि उपचार के दौरान चिकित्सको द्वारा उक्त छात्र को किसी भी प्रकार का संक्रमण नही होना बताया गया है जिसकी सूचना भी स्कूल प्रशासन को पूर्व मे दी जा चुकी है बावजूद इसके सबंधित शिक्षक द्वारा बिना किसी कारण के छात्र के सामने उसके पिता केा निशाना बनाकर अभद्र शब्दों का प्रयोग कर खरी खोटी सुनाया जाता है जिसके कारण छात्र वर्ग स्वयं एवं अपनें माता पिता के अपमान के बोझ तले दबे जा रहे हैं यहां यह बताना लाजिमी है कि उक्त शिक्षक के व्यवहार एवं अशिष्ठ शब्दावली की जानकारी मौखिक रूप से प्राचार्य को दी जा चुकी है ताकि संबंधित शिक्षक अपनें ही छात्रो के प्रति समान एवं शिष्ठ व्यवहार को स्थापित कर सके,पालक वर्ग ने बैठक कर इसकी शिकायत कलेक्टर से करने का निर्णय लिया है कि यदि उक्त शिक्षक के व्यवहार मे प्रमाणित शिष्ठाचार समानता संवेदना नही पाई जाती है तो मामला जिले के कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा व जिला शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में लाया जाएगा।ज्ञात हो कि उक्त शिक्षक प्रतिन्यूक्ति में इस स्कुल में सेवा दे रहा है।
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