स्कूल शिक्षा विभाग के वर्तमान पद सरचना के अनुसार संस्कृत 01 एवम वाणिज्य के 02 की न्यूनतम व्यवस्था को यथावत रखा जाए ।
छत्तिसगढ़ व्याख्याता (एल बी) संघ के प्रदेश अधक्ष एवम छ ग. शिक्षक कांग्रेस के महासचिव कमलेश्वर सिंह सहित श्री संजय सिंह, बंशी बिहारी बनाफर सिंह, दुवारिका पटेल, दीपक राय, प्रदीप सेन, मोहन उपाध्याय, जावेद खान, शशिभूषण शर्मा, सुश्री भावना वैष्णव, श्रीमती मंजूषा तिवारी,श्रीमती शैली ,नरेंद्र साहू, जयप्रकाश साहू, सुनील कुमार गुनी,ऋषि सिंह चंदेल, वेदलाल साहू जाकिर, संजय कैवरत, अनिल गुप्ता, अनुजय वैश्य,शंकर गोयल, नवीन श्रीवास्तव, आदि पदाधिकारियों ने स्कूल शिक्षा विभाग दुवारा जारी नवीन पद सरचना के आदेश का विरोध किया है और वापस लेने का अनुरोध किया है क्योंकि वर्तमान मे 2008 की व्यवस्था के तहत कार्यरत संस्कृत के व्याख्याता एवम वाणिज्य के व्याख्याता को हटना पड़ेगा। वाणिज्य एवम संस्कृत के बहुत से ऐसे व्यख्याता है जो विगत 25 से 30 वर्षों से कार्यरत है और सेवा नृवित्ति के कगार पर है उन्हे हटना होगा। अत: वर्तमान पद सरचना को यथावत रखते हुए छात्रों की दर्ज संख्या के अनुपात मे अतिरिक्त पद की स्वीकृति दी जाए।
ज्ञात हो कि हाई स्कूल में 01 प्राचार्य 6 पद व्याख्याता के पहले से स्वीकृत है हाई स्कूल का हायर सेकण्डरी स्कूल में उनयित करने पर 06 पद अतिरिक्त मिलेंगे । इस प्रकार उनयित हायर सेकंडरी स्कूल में 11 पद व्याख्याता के होते परंतु जिला पंचायत दुवारा हाई स्कूल में पूर्व में स्वीकृत 06 पद+ हायर सेकंड्री स्कूल में उनयित होने पर पादोंनति/सीधी भर्ती से अतिरिक्त 10=16 पदों की नियुक्ति कर दी गयी जिससे उनयित विद्यालयो में 16 व्याख्याता कार्यरत है जो की जांच का विषय है। वहीं प्रारम्भिक रूप से ही स्थापित हायर सेकण्डरी स्कूल में कहीं कहीं 11 या 13 व्यख्याता है जबकि दर्ज संख्या के हिसाब से 19-20 व्यख्याता की आवश्यकता होगी। अत: उनयित शाला में पद स्वीकृति से अधिक कार्यरत व्याख्याताओ को अन्य विद्यालयो में जहां पर जरूरत है वहाँ समायोजित कर दिया जाना चाहिए
प्राथमिक शाला में न्यूनतम प्रधान पाठक1+3 सहायक शिक्षक एवम पूर्व माध्यमिक शाला में प्रधान पाठक 1+4 शिक्षक की पद सरचना को भी यथावत रखी जाए। बल्कि दर्ज संख्या के आधार पर कम ज्यादा होने पर एक शाला दूसरे शाला में स्थानांतरण से समायोजन करना चाहिए। नवीन पद सरचना के जो मापदंड छ. ग.राज्य शासन स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी किये है वे अव्यहारिक है ।