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मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला का रेस्क्यू कर पैरालीगल वालेंटियर गोलू द्वारा जिला अस्पताल में करवाया गया भर्ती।

◆ शोसल मिडिया मे खूब वायरल हुआ था महिला

खैरागढ़ ! माननीय अध्यक्ष महोदय श्री विनय कुमार कश्यप जी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार और माननीय अध्यक्ष चंद्र कुमार कश्यप जी तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ के मार्गदर्शन में नेशनल लोक अदालत साइबर अपराध पॉक्सो एक्ट एवं  नालसा की विभिन्न योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने के दौरान स्थान बाजार अतरिया में दिनांक 6 अप्रैल को घूमती हुई मानसिक रूप से विक्षिप्त तथा अस्वस्थ महिला मिला जिससे नाम पता पूछने पर अपना नाम उत्तरा बताया गया। लेकिन पता वगैरह कुछ नहीं बता पा रही थी। लेकिन आसपास के लोगों से व वरिष्ठ पत्रकार दिनेश साहू से जानकारी प्राप्त हुई की उसका नाम उतरा बाई मरकाम पिता बंशी गोंड़ उम्र लगभग 35 साल, निवासी बाजार अतरिया ब्लाक खैरागढ़ ,जिला राजनांदगांव छग पिछले दो साल से बाजार अतरिया अपने मायके मे रह रही है। शादी होकर ससुराल गया था। कुछ समय बाद वहा से वापिस मायके आ गई। वर्तमान मे विक्षिप्त रूप मे रहती है। इधर उधर भटकती रहती है। मानसिक रूप से बीमार है।

◆वालंटियर गोलूलास ने सरपंच प्रतिनिधि से दूरभाष से जानकारी इकट्ठा किया

पैरालीगल वॉलिंटियर गोलूदास द्वारा रेस्क्यू कर थाना प्रभारी खैरागढ़ और बीएमओ सिविल अस्पताल खैरागढ़ के सहयोग से उसको जिला अस्पताल पंहुचाया गया। तत्पश्चात उसे माननीय सचिव श्री देवाशीष ठाकुर महोदय जी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के मार्गदर्शन में सुश्री मोहिनी साहू एवं महिला आरक्षक श्रीमती धनेश्वरी ठाकुर बैच नंबर 678 के सहयोग से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसका इलाज विशेषज्ञ मनोरोग चिकित्सक डॉ. श्रॉफ की टीम द्वारा किया जा रहा है। यह लाभ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विधिक सेवाऐं योजना के अंतर्गत दिया जाता है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 के तहत वह व्यक्ति जिन्हें अशक्त व्यक्तियों (समान अवसर, अधिकारों की रक्षा और पूर्ण सहभागिता) अधिनियम, 1995 के तहत परिभाषित किया गया है और जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 की धारा 2 के खंड (फ) के अर्थ में मनोचिकित्सक अस्पताल अथवा मनोचिकित्सक नर्सिंग होम में रखा गया है, विधिक  सेवाओं के हकदार हैं। इसलिए नालसा (NALSA) ने विधिक सेवा प्राधिकरण  अधिनियम, 1987 की धारा 4(b) के अंर्तगत सशक्त अपने अधिकार  से मानसिक रोगी और मानसिक अशक्तताग्रस्त व्यक्तियों को प्रभावशाली विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए वर्ष 2010 में एक योजना बनाई थी।

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