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शनि जयंती और वट सावित्री अमावस्या पर श्रद्धा का महासंगम, मुड़पार शनिमंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

शनि जयंती और वट सावित्री अमावस्या पर श्रद्धा का महासंगम, मुड़पार शनिमंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

 

खैरागढ़। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या का पुण्यपर्व — जिसे वट सावित्री अमावस्या और शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है — मंगलवार 27 मई 2025 को क्षेत्र में श्रद्धा, भक्ति और आस्था का अनुपम संगम लेकर आया। इस पावन अवसर पर खैरागढ़ नगर से सटे मुड़पार स्थित शनिमंदिर में दिनभर धार्मिक गतिविधियाँ गूंजती रहीं और श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।

 

*भक्ति से सराबोर रहा शनिमंदिर परिसर*

 

श्री शनि मंदिर समिति के तत्वावधान में आयोजित इस भव्य आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने तन-मन-धन से सहभागिता करते हुए पुण्य अर्जित किया। मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष श्री आलोक श्रीवास ने जानकारी दी कि कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः विशेष पूजन-अर्चन से हुई। इसके उपरांत संगीतमय भजन-कीर्तन और विशाल महाप्रसादी का आयोजन किया गया।

 

श्रद्धालुओं ने शंखध्वनि और भजनों की गूंज के बीच भगवान शनिदेव के दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना की। इस बार शनि जयंती का पर्व वट सावित्री अमावस्या के साथ पड़ने के कारण इसका धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ गया।

 

*महिलाओं ने की वट पूजा, श्रद्धालुओं ने किया दीपदान*

 

महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर अपने पतियों की दीर्घायु और पारिवारिक सुख-शांति की प्रार्थना की। वहीं, भक्तों ने शनिदेव को दीपदान एवं तिल-तेल अर्पित कर शनिदोष निवारण की भावना से सेवा की। दिनभर चलने वाले इस आयोजन में श्रद्धालुओं की आस्था देखते ही बनती थी।

 

*श्रद्धालुओं का सैलाब, भक्ति में लीन रहा जन-जन*

 

कार्यक्रम में स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा दूर-दराज़ से आए भक्तों की भारी उपस्थिति ने आयोजन को जनसैलाब का रूप दे दिया। लोग इस आयोजन को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक एकता के पर्व के रूप में देख रहे थे। मंदिर परिसर में बुज़ुर्ग, महिलाएं, युवा और बच्चे सभी शनि कृपा की अनुभूति में लीन नजर आए।

 

*समिति की व्यवस्था सराहनीय, प्रसाद में उमड़ी भीड़*

 

मंदिर समिति द्वारा की गई व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित एवं अनुशासित रहीं। भंडारे में हज़ारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया, जो सामूहिक भक्ति और सेवा भाव का प्रतीक बना। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक समरसता और संस्कृति के संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।

 

*उपस्थित गणमान्य सदस्य*

 

इस पावन अवसर पर समिति संरक्षक गणेश राम सिंह, अध्यक्ष चेतन वर्मा, सचिव निलेश कुमार यादव, सह-सचिव कुलेश्वर सिंह, रामाधार रजक, नरेश चोपड़ा, प्रकाश सिंह बैस, आयश सिंह बोनी, कपीनाथ महोबिया, सौरभ सिंह, सोनू ढीमर सहित अन्य समिति सदस्यगण सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।

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