बेटी ने निभाया पुत्र धर्म: समाज की रूढ़ियों को तोड़कर दी मां को मुखाग्नि
खैरागढ़. बच्चों का कर्तव्य केवल परंपराओं तक सीमित नहीं होता, बल्कि प्रेम और श्रद्धा से जुड़ा होता है. खैरागढ़ की बेटी दिव्या महोबे ने यह साबित कर दिया जब उन्होंने अपनी मां को मुखाग्नि देकर समाज को नई दिशा दिखाई. आमतौर पर यह जिम्मेदारी बेटों की मानी जाती है, लेकिन दिव्या ने यह दिखा दिया कि कर्तव्य और संस्कार में कोई भेदभाव नहीं होता.