शिक्षा का अधिकार (RTE) अंतर्गत निजी स्कूलों मे 25% सीटे गरीब एवं वंचित समूह के बच्चों के लिए आरक्षित होती है
एक तो राज्य सरकार की लापरवाही के चलते 25% की परिभाषा rte कानून से परे होकर छत्तीसगढ़ राज्य मे लागु है, ऊपर से लोक शिक्षण संचालक के माध्यम से संचालित ऑनलाइन पोर्टल मे बहुत से खामिया है, इसके बाद निजी स्कूलों को नियम के विपरीत 25% सीटे आरक्षित कराई जातीं है, जिसे ऑनलाइन पोर्टल मे पिछले सत्र की दर्ज संख्या को नोडल से प्रमाणित कर पोर्टल मे दर्ज किया जाता है, उसमे भी नोडल प्राचार्य उदासीन होकर न तो निजी स्कूलों को निर्देशित करते है और कोई निजी स्कूल समय से पहले जानकारी नोडल को दे भी दे तो उसकी उदासीनता का शिकार निजी स्कूल हो जाते है, rte act 2009 कहता है की निजी स्कूल कम से कम 25% सीटे गरीब एवं वंचित समूह के बच्चे के लिए सीट आरक्षित रखेगी, लेकिन राज्य मे 25% की परिभाषा बदल कर गरीब एवं वंचित समूह के बच्चों के मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है
इसे ऐसे समझ सकते है 2024-25 मे किसी स्कूल मे 100 बच्चे है तो उसे 25% के हिसाब से 25 सीट आरक्षित रखनी है, जबकि यह नियम के विपरीत है, 24-25 को आधार तो बनाया गया लेकिन क्या 25-26 मे भी 100 बच्चे उसी कक्षा मे होंगे ? यदि हां तो ठीक 60 हो गए तो 25 सीट rte के सीधा तौर पर स्कूल को लाभ, यदि 200 हो गए तो 25 सीट rte के सीधा तौर पर गरीब बच्चों को नुकसान जहाँ 50 बच्चों को फ्री सीट मिलनी चाहिए वहां 25 बस को मिलेगी
और तो और लोक शिक्षा संचालक का अपने जिला शिक्षा अधिकारियो पर कोई दबाव नहीं, पोर्टल मे दो एंट्री क्लास होने के बाद भी बहुत से जिलों मे एक ही एंट्री क्लास मे प्रवेश दिया जाता है, जिससे बहुत से गरीब बच्चे फ्री शिक्षा से वंचित हो जाते है
कुल मिलाकर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 छत्तीसगढ़ मे केवल अमली जमा है वास्तविकता से परे जिसका सीधा नुकसान गरीब एवं वंचित समूह के बच्चों को हो रहा है
रही सही कस्र को नोडल प्राचार्य पूरा जर देते है, पालको ने जो दस्तावेज जमा किया होता है, वेलिड होने के बाद भी उसको रिजेक्ट कर दिया है, जिसके चलते गरीब बच्चों को लाभ नहीं मिल पता