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पाली वन परिक्षेत्र में हरे- भरे वृक्षों की कटाई से जंगल हो रहे वीरान, अधिकारी कार्यालय तो कर्मचारी घर बैठे कर रहे दायित्वों का निर्वहन

सरस्वती संकेत ! कोरबा/पाली – एक ओर जहां सरकार वनों की कमी और संरक्षण पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। विभिन्न प्लांटरोपण कार्य के लिए विभाग को हस्तमुक्त राशी प्रदान की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कटघोरा वनमंडल के पाली वन परिक्षेत्र में अवैध रूप से वनों की कटाई पर रोक में विभाग विफल साबित हो रहा है।

  •  वन परिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय से 4- 5 किमी की दूरी पर पोड़ी- सिल्ली मुख्यमार्ग किनारे नानपुलाली के निकट स्थित सराय का घना जंगल जो कि नानपुलाली- पोलिस प्लाजा के नीचे मुंगाडीह बीट आता है, उक्त जंगल दिवस- प्रतिदिन अवैध कटान के कारण समाप्त हो रहे हैं हैं। लोग जंगल के पेड़ों की कटाई कर लकड़ी के फर्नीचर के काम के लिए बेख़ौफ़ बेच रहे हैं। इससे वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है। यहां का घना जंगल धीरे-धीरे समतल मैदानों में तब्दील होता जा रहा है। बता दें कि इस जंगल में लकड़ी काटने वाले आसपास के लोग सक्रिय हैं, जो यहां वर्षों पुरानी सराय के पेड़ों को दिन-दहाड़े के टुकड़े और सिलपट तैयार कर फर्नीचर के काम के लिए एक अने मजबूत बांध पर बेच रहे हैं। इस अवैध कटान से जहां यह जंगल खत्म हो रहा है और न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड की वजह से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी इस ओर कार्रवाई करने के बजाय अपने-अपने दायित्वों का पालन कर रहे हैं। प्रत्येक वर्ष वन विभाग द्वारा पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और वृक्षों की रक्षा के लिए अधिक से अधिक वृक्षों की रक्षा के लिए पर्यावरण को बेहतर बनाने का संकल्प लिया जाता है। इसके अलावा लाखों की संख्या में प्लांटरोपण कार्य भी तकनीशियनों द्वारा किए जाते हैं। लेकिन रोपित लैपटॉप की देखभाल नहीं की जाती है। परिणाम यह है कि दूसरे सीज़न में आते हैं- अधिकांश उपकरण अपनी जगह से गायब हो जाते हैं, जो चिराग लेकर आए थे, उनसे भी नज़र नहीं मिला। क्योंकि प्लांटरोपण के बाद विभाग उसके संरक्षण की ओर ध्यान नहीं देता है और संरक्षण के अभाव में वे औषधियां पहले या नष्ट हो जाती हैं या फिर से फसल के आहार बन जाती हैं। अन्यत्र जंगल मे लीज वाले भी आग की स्थापना करते हैं। ऐसे में जिम्मेदारों की विरासत और देनदारियों के कारण शासन के मंसूबों पर पानी फिर रहा है। वनस्पति की माने तो जंगल के पेड़ों की कटाई की सूचना वन पौधों को दी जाती है लेकिन मछली पर कोई जवाबदार नहीं पहुंचता। इसी कारण से अवैध कटान में लगे लोगों के कब्जे उठ गए हैं। यह विभाग कभी-कभार छुटपुट कार्रवाई कर अपने हाथों से ही कार्रवाई कर सकता है।
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