डॉ.उमेंद चंदेल की पुस्तक का हुआ विमोचन
खैरागढ़ :-दिनांक 23.10.2024 दिन शुक्रवार को रानी रश्मि देवी सिंह शासकीय महाविद्यालय खैरागढ़ के हिंदी विभाग के तत्वावधान में विभाग के अतिथि प्राध्यापक डॉ.उमेंद कुमार चंदेल की पुस्तक ‘रांगेय राघव के कथा साहित्य में लोक संस्कृति’ का विमोचन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के छायाचित्र में दीप प्रज्ज्वलन के साथ ही अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ भेंट कर किया गया। इसके उपरांत पुस्तक का विमोचन फीता खोलकर सभी अतिथियों की मुस्कुराहट के साथ हुआ। विमोचन के बाद पुस्तक पर आमंत्रित विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये । सबसे पहले वक्ता के रूप में डॉ.जयति विश्वास प्रभारी प्राचार्य छुईखदान महाविद्यालय ने रांगेय राघव के विपुल साहित्य पर प्रकाश डाला और रचनाकार डॉ. उमेंद चंदेल के संघर्ष को रेखांकित किया। दूसरे वक्ता शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय खैरागढ़ की अतिथि व्याख्याता डाॅ.मेधाविनी तूरे ने बताया कि उमेंद मेरा प्रिय शिष्य रहा है और उन्होंने मुझसे पहले पुस्तक प्रकाशित कराया, इसके लिए उन्होंने शुभकामनाएं प्रेषित की। जनप्रतिनिधि विप्लव साहू जी ने शेरों व शायरियों के माध्यम से अपनी बात रखते हुए पुस्तक प्रकाशन को एक महत्वपूर्ण कार्य माना। पत्रकार अनुराग तूरे ने बताया कि उमेंद में आगे बढ़ने की ललक और लगन है। उन्होंने रचनाकार चंदेल को गुदड़ी के लाल कह कर संबोधित किया। महाविद्यालय के ग्रंथपाल जे के वैष्णव ने शोध के महत्व को बताते हुए बाकी विद्यार्थियों को भी उनसे प्रेरणा ग्रहण कर आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया और डॉक्टर उमेद चंदेल और हिंदी विभाग की उपलब्धि पर शुभकामनाएं एवं बधाई प्रेषित की । एस मधुर वाणी जी ने बताया कि एक गांव का लड़का भी इन चीजों को प्राप्त कर सकता है अगर उसमें लगन व ईमानदारी हो तो। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर राजन यादव जी ने बताया कि उमेंद में पहले क्या था और अब क्या है। यादव जी ने बताया कि इन्होंने मेरे ही निर्देशन में पीएचडी भी किया है। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य आडवाणी जी ने महाविद्यालय के लिए इसे गौरवमय क्षण बताया । मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. जीवन यदु ने लोक के मर्म को बताते हुए डॉक्टर उमेंद चंदेल को आगरा ,राजस्थान की लोक संस्कृति और छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन करके एक नई पुस्तक लिखने का सलाह और सुझाव दिया उन्होंने विस्तार से लोक और शास्त्र के संबंध को परिभाषित किया।इस कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभाग अध्यक्ष यशपाल जंघेल ने किया। संचालन करते हुए जंघेल जी ने उमेंद चंदेल के लोक से जुड़ाव के विषय में बताया कि वह खुद जस व भजन गाते हैं और जस पार्टी का सफल संचालन भी चंदेल जी करते हैं। पुस्तक शब्द की उत्पत्ति को उन्होंने विस्तार से बताया। अंत में कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन करते हुए डाॅ. उमेंद कुमार चंदेल ने सभी गुरुजनों, महाविद्यालय के समस्त शिक्षकों, नवीन कन्या महाविद्यालय के समस्त शिक्षकों, महाविद्यालय के सभी अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों के प्रति भी आभार जताया । साथ ही नाथूराम निषाद जी के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट किया। अतिथियों ने डॉक्टर उमेंद चंदेल को मोमेंटो ,श्रीफल, साल , डायरी और कलम भेंट कर प्यार, स्नेह और आशीर्वाद प्रदान किया ।