विडंबना: 15 साल पहले बनी सड़क की एक बार भी मरम्मत नहीं, हिचकोले खाने मजबूर ग्रामीण
खैरागढ़ ब्लॉक के पाड़ादाह से भरतपुर तक 15 साल पहले बनाई गई प्रधानमंत्री सड़क की आज तक मरम्मत भी नहीं होने के चलते आधा दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पाडादाह से सांकरा, चिचका, कुर्रूभाठ होकर भरतपुर तक बनाई गई सड़क का निर्माण होने के बाद से अब तक इसकी मरम्मत ही नहीं हो पाई। जिसके चलते मार्ग पूरी तरह से खराब है।
जगह-जगह गड्ढे से आवागमन अवरूद्ध हो रहा है। छोटे वाहनाें से आवाजाही में ग्रामीण दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। तो दूसरी ओर बडे़ वाहनों के आवागमन के दौरान छोटे वाहनों को निकालने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भरतपुर सड़क निर्माण कार्य ग्रामीणों की पुरानी मांग पर लगभग 2007 में पूरा करते किया गया था लेकिन उसके बाद से अब तक सड़क का निर्माण तो दूर मरम्मत करने में भी विभाग ने रूचि नहीं दिखाई है।समय ज्यादा लगता है।सड़क खराब होने के कारण इस सड़क से आवाजाही करने वाले आधा दर्जन गांव के ग्रामीणाें को स्वास्थ्य सुविधा के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। आपात स्थिति में मरीजाें को स्वास्थ्य केन्द्र तक ले जाने में परिजनों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि जगह-जगह गड्ढों के कारण इस मार्ग से आवागमन करने में कठिनाइयों के साथ अतिरिक्त समय भी गंवाना पड़ रहा है। लगातार मांग के बाद भी सड़क विभाग द्वारा इसकी मरम्मत को लेकर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश भी बढ़ रहा है। आवाजाही प्रभावित होने से क्षेत्र के ग्रामीण भी हलाकान हैं।
आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोग करते हैं आवाजाही पाड़ादाह से भरतपुर मार्ग से जंगलपुर,सांकरा,चिचका, धौराभांठा, कुर्रूभाठ, भरतपूर चिचका सहित आधा दर्जन गांवो के लोगों का आवागमन होता है। इन गांवाें के लोगों को बिजली, बैंक सहित अन्य विभागों की सुविधा पाड़ादाह में ही मिलती है। जिसके चलते रोजाना सैकड़ाें ग्रामीण इस मार्ग का उपयोग करते हैं। सड़क की मरम्मत और निर्माण नही होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सड़कों पर ग्रामीणों के खेत भी हैं जिसके कारण खेतों में आवाजाही और अन्य कार्याें में भी दिक्कताें का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण के बाद इसकी मरम्मत कराने कई बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा गया। अधिकारियों के चक्कर भी लगाए लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल पाया।