खैरागढ़ : विकासखंड अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चिचोला में महिला शिक्षिका के साथ शिक्षक द्वारा दुर्व्यवहार-अपराध किया गया, जिस पर अब तक समुचित कार्यवाही नही की गई। विद्यालय प्रशासन, शिक्षा विभाग और कानून से जुड़े कदमों पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है। बच्चों, विद्यालय, अंचल और समाज व्यवस्था के लिए अनैतिकता और शर्मिंदगी का बड़ा वातावरण बना दिया है जिसकी भरपाई करना काफी कठिन है।
बोर्ड परीक्षा के समय शिक्षक नरेश हरिहरनो द्वारा पीड़ित शिक्षिका के साथ अपराधपूर्ण दुर्व्यवहार किया गया। इस घटनाक्रम के तुरंत बाद दूसरे दिन आनन-फानन में प्राचार्य आत्माराम साहू द्वारा तरह-तरह के बातों से शिक्षिका की बिगड़ी हुई मानसिक स्थिति पर और दबाव बनाकर जबरदस्ती माफीनामा बनवाकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया। जबकि उन्हें तो तत्काल अपने उच्च अधिकारी को इसकी जानकारी देनी थी। माफीनामे की नौटंकी के बाद भी लगातार आरोपी नरेश कुमार हरीहरनो को संरक्षण देते हुए प्राचार्य द्वारा मिलकर उलाहना देने, मख़ौल उड़ाने के अंदाज में प्रताड़ित किये जाने और मानसिक क्षति पहुंचाने की घटना होती रही। शिक्षिका ने लगातार मानसिक दबाव और क्षति को देखते हुए प्रभारी प्राचार्य को आगे कार्यवाही के लिए कहा, अंततः न चाहते हुए भी प्रभारी प्राचार्य द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित शिकायत दी गई। जांच कमेटी द्वारा सारी चींजे सही पाए जाने के बावजूद आज 3 महीने बाद भी उस शिक्षक और प्रिंसिपल पर विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाना हैरान, परेशान और गहरा निराश करने वाला है।
जिला पंचायत सदस्य विप्लव साहू ने चिचोला का दौरा किया, सरपंच और शाला विकास समिति के अध्यक्ष के साथ ग्रामीणों से मुलाकात करके स्थानीय पहलुओं को जाना और कहा कि जिम्मेदार प्रशासन को शर्म आनी चाहिये कि विभाग ने इतने गंभीर मसले पर नियम और कानून के मुताबिक कार्य नही किया। आरोपी शिक्षक जिसने शाला प्रबंधन के सामने स्वयं शर्मनाक अपराध करना कुबूल किया है, जो कि राज्य सिविल सेवा आचरण के विरुद्ध आता है, विभाग अविलंब दोषियों पर कार्यवाही करें। अभी इस विषय की गतिविधियों, प्रशासन और पुलिस के कदम को देखेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षकीय व्यवस्थापकों द्वारा ही इस गंदे उदाहरण पर हम अपने समाज, नयी पीढ़ी और अध्ययनरत छात्रों को क्या मुंह दिखाएंगे! हमें हमारी ही व्यवस्था पर शर्म आ रही है। सभी दोषियों पर सख्त कार्यवाही करके ही हम समाज के सामने उदाहरण कर पाएंगे।
विद्यालय में जहां पर महिला शिक्षिकाएं ही सुरक्षित नही है, वहां पर पदस्थ ऐसे शिक्षक कमजोर, अबोध, अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को सुरक्षित रखने की कैसे गारंटी दे सकता है! आत्माराम साहू का प्रभारी प्राचार्य पद पर बने रहना, जिला शिक्षा अधिकारी और विभाग की कार्य प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करता है। जबकि शाला में उनसे उच्च नियमित और सीनियर व्याख्याता मौजूद हैं।
गांववालों, विद्यालय परिवार और छात्र-छात्राओं में पीड़ित महिला शिक्षिका के अध्यापन कार्य मैं कोई त्रुटि नहीं बताई गई। जबकि वहां पर पदस्थ प्राचार्य आत्माराम साहू और नरेश हरिहरनो काफी अनियमित बताए जाते हैं। शाला विकास समिति के अध्यक्ष, सरपंच और अन्यों के द्वारा प्राचार्य को विद्यालय की गतिविधि, आय-व्यय के ब्यौरे, रवैये में सुधार आदि पर ताकीद किये जाने पर प्रतिनिधियों के साथ ही प्राचार्य द्वारा बुरा व्यवहार किये जाने का मामला है।