[the_ad id="217"]

Chhattisgarh Odisha Mahanadi Dispute: महानदी जल विवाद अभिकरण पहुंचा दुर्ग… अध्यक्ष और सदस्यों ने सिंचाई योजना का किया निरिक्षण… दोनों राज्यों के अधिकारी रहे मौजूद; ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मध्य क्या है विवाद…? डिटेल में जानिए

Chhattisgarh Odisha Mahanadi Dispute: महानदी जल विवाद अभिकरण पहुंचा दुर्ग… अध्यक्ष और सदस्यों ने सिंचाई योजना का किया निरिक्षण… दोनों राज्यों के अधिकारी रहे मौजूद; ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मध्य क्या है विवाद…? डिटेल में जानि

  1. छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच लंबे अरसे से महानदी जल बटवारे का विवाद चल रहा है। इसे लेकर जल विवाद अभिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों की टीम शुक्रवार को दुर्ग पहुंची। टीम ने यहां धमधा ब्लॉक अंतर्गत टेमरी लघु सिंचाई योजना का निरीक्षण किया। छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग और उड़ीसा के अधिकारी भी उपस्थित रहे। महानदी जल बटवारे का प्रकरण न्यायालय में पेंडिंग है। इसके निराकरण के लिए न्यायालय के निर्देश पर महानदी जल विवाद अभिकरण का गठन किया गया था।

अभिकरण के अध्यक्ष जस्टिस एएम खानविलकर और सदस्य जस्टिस रवि रंजन, जस्टिस इन्द्रमीत कौर और जस्टिस एके पाठक हैं। सभी न्यायाधीश दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक अंतर्गत टेमरी गांव स्थित टेमरी लघु सिंचाई योजना का निरीक्षण करने शुक्रवार 21 अप्रैल को दुर्ग पहुंचे थे। न्यायाधीशों को पहले चरण में 18 से 22 अप्रैल 2023 तक यहां की योजनाओं का निरीक्षण करना था। जिसमें 21 अप्रैल को इन्होंने दुर्ग जिले की योजना का निरीक्षण पूर्ण किया। इस दौरान उन्होंने जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारियों और इंजीनियर्स से सिंचाई योजना के बारे में पूरा जानकारी ली।

क्या है विवाद?
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के पानी को लेकर विवाद है। विवाद की मुख्य वजह ओडिशा का हीराकुंड बांध है। केंद्र सरकार ने संबलपुर में हीराकुंड बांध का निर्माण कराया था और इसे ओडिशा गवर्मेंट को सौंप दिया था। हीराकुंड बांध महानदी पर बना है, जो छत्तीसगढ़ से बहकर ओडिशा में प्रवेश करती है। दोनों राज्यों के बीच महानदी विवाद की शुरुआत 1983 में हुई थी लेकिन 2016 में यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

जब ओडिशा ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में महानदी पर बने बांधों के चलते नदी की धारा प्रभावित हो रही है और हीराकुंड बांध में पानी का लेवल लगातार कम हो रहा है। आरोप है कि नदी के सूखने का खतरा बढ़ गया है और इससे ओडिशा के आम लोग, किसान, उद्योग और पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होंगे।

इस मामले में छत्तीसगढ़ का तर्क है कि हीराकुंड बांध के लिए ओडिशा द्वारा निर्धारित सीमा से ज्यादा पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ का आरोप है कि यह जल औद्योगिक उद्देश्यों और सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। कोर्ट ने विवाद के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया है।

निरिक्षण के इस दौरान छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग के सचिव अनबलगन पी, दुर्ग जिला कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा, प्रमुख अभियंता इन्द्रजीत उईके, मुख्य अभियंता महानदी जलाशय परियोजना राकेश नगरिया, मुख्य अभियंता महानदी गोदावरी कछार रायपुर समीर जार्ज, अधीक्षण अभियंता दिनेश कुमार भगोरिया, कार्यपालन अभियंता सुरेश कुमार पाण्डेय मौजूद थे।

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Reply

[the_ad id="219"]
POLL
What does "money" mean to you?
  • Add your answer
BREAKING NEWS
LIVE CRICKET