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भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया मोक्षगुंडम भारत देश के पहले सिविल इंजीनियर थे।

राजू अग्रवाल खैरागढ़ भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया मोक्षगुंडम भारत देश के पहले सिविल इंजीनियर थे।

इनके बारे में यह बताया जाता है कि एक बार रेल में सफर कर रहे थे तो इन्होंने बता दिया कि आने वाले आधे घंटे के अंदर यह रेल दुर्घटनाग्रस्त होने वाली है इनका आकलन इतना सटीक था और यह इंजीनियर भी ऐसे थे जो उस रेल गाड़ी में बैठे हुए यह जान गए कि इसके पहिये में कोई गड़बड़ी है और यह आगे जाकर के दुर्घटनाग्रस्त होने वाली है।

इसी तरह से आज लगभग 12 से 14 साल से सिंचाई विभाग में एक सब इंजीनियर हैं जो हमारे खैरागढ़ छुईखदान क्षेत्र को अपने इंजीनियरिंग से क्षेत्र के किसानों के लिए बड़ा भला कर रहे हैं यह भी कहा जा सकता है कि इनकी तुलना भारत रत्न प्राप्त मोक्षगुंडम एम विश्वेश्वरैया से किया जा सकता है। इनका

स्थानांतरण 2018 में जल संसाधन विभाग कवर्धा में हो चुका था और इसका स्थानान्तरण में बेन लगा हुआ था। उस समय इनको वापस छुईखदान ला करके छुई खदान खैरागढ़ क्षेत्र में इससे विभाग द्वारा सेवा लिया जाता रहा है ।तारीफ की बात यह है कि इस सब इंजीनियर को क्षेत्रवासी कभी देखे नहीं क्योंकि यह मुख्यालय में रहता ही नहीं। यह दुर्ग से आना-जाना करता है। जो सप्ताह में एक बार कभी महीने में एक बार लेकिन यह घर बैठे अपने सारे काम को सुनियोजित ढंग से संपादित करता है इसीलिए मैं इनकी तुलना एम विश्वेश्वरैया मोक्षगुंडम इंजीनियर से कर रहा हूं क्योंकि यह इतने योग्य व्यक्ति हैं। ऐसा भी लगता है कि इसके बगैर सिंचाई विभाग का कोई काम हो ही नहीं सकता मूल रूप से इसकी पोस्टिंग कहां पर है ।यह कब क्षेत्र में आते हैं? और क्षेत्र में काम करके चले जाते हैं इसकी किसी भी व्यक्ति को कानो कान खबर नहीं होती ना ???? आंख से देखने को मिलता। गुढ़ी व्यक्ति है इससे भी ज्यादा तारीफ की बात यह है इनके जो उच्च अधिकारी हैं । ओ इनके काम के तौर तरिके को नहीं बदले अभी तक के ढेर सारे इनके कार्यपालन अभियंता रहे हैं किसी ने भी इनके कार्यप्रणाली को बदलने की कोशिश नहीं की। इनके बगैर कोई काम सिंचाई विभाग का नहीं होता इतने गढी व्यक्ति हैं । मेरी पहुंच यदि दिल्ली तक होती तो मैं माननीय प्रधानमंत्री जी से इनकी सिफारिश करके इन्हें भारत रत्न की उपाधि से पुरस्कृत करवा देता। शासकीय सेवा में यह नियम है कि कोई भी व्यक्ति मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूरी के अंदर ही आना जाना कर सकता है लेकिन यह गुनी व्यक्ति 60 किलोमीटर दुर्ग और 12 किलोमीटर छुई खदान कुल 72 किलोमीटर की दूरी महीना ,15, सप्ताह में एक बार इस क्षेत्र में आ करके अपनी जवाबदारी पूरी कर रहे हैं । मैं माननीय जिलाधीश महोदय का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा की सिंचाई विभाग के इस अनमोल सब

इंजीनियर की कार्यप्रणाली का हिसाब किताब लेकर के इसकी शासकीय सेवा में जो आचरण होता है उसका पालन करवाने के लिए पहल की आवश्यकता है। ब्राह्मण देव भव ।।

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