नई दिल्ली: चूहों (Rats) के आतंक से सिर्फ हम और आप ही नहीं बल्कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) भी परेशान है. ये चूहे देशभर के रेलवे स्टेशन को खोखला कर रहे हैं. चूहों ने स्टेशन के प्लेटफार्म समेत रेलवे दफ्तरों, केबिनों और फाइलों तक को कुरेद डाला है. हालात यह हैं कि रेलवे हर साल करीब लाखों रुपये की रकम
चूहे मारने (Rat Killing) पर खर्च करता है.
चूहों का आतंक बरकरार
चूहों से होने वाले नुकसान की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं. देश का कोई भी रेलवे स्टेशन हो चाहे वो बड़ा हो या छोटा, हाईटेक हो या सामान्य हर जगह मोटे-मोटे चूहे आपको आसानी से दिख जाएंगे. झांसी से लेकर नागपुर तक इन चूहों को मारने के लिए रेलवे द्वारा बड़ी रकम खर्च की जा चुकी है लेकिन ऐसी कोशिशों का नतीजा सिफर ही रहा है यानी अब तक चूहों के आतंक से रेलवे को मुक्ति नहीं मिल सकी है.
झांसी मंडल की केस स्टडी
झांसी (Jhansi) की बात करें तो ये उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का प्रमुख रेलवे स्टेशन है. यहां ढाई लाख रुपये चूहों को मारने पर खर्च हो चुके हैं. फिर भी चूहों का आतंक चरम पर है. चूहे बिजली वायरिंग, फर्नीचर समेत कई चीजों को नुकसान पहुंचा चुके हैं. इतना ही नहीं ट्रेनों में भी सामान को कुतर देते हैं.
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‘मोटे-मोटे चूहों से डर लगता है’
आपने भी सफर के दौरान रेल की पटरियों और प्लेटफॉर्म पर चूहों को उछलकूद करते देखा होगा. चूहे पटरियों व प्लेटफार्मों पर फेंकी गईं खानपान की वस्तुओं को खाकर इतने मोटे हो जाते हैं कि उनको देखकर बच्चे तक डर जाते हैं. कई बार तो चूहे पलक झपकते ही आपके छोटे मोटे सामान या खाने पीने की चीजों को उठा ले जाते हैं. झांसी शहर में रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म एक से पांच, छह और सात नंबर की पटरियों के पास चूहों ने जगह-जगह सुराख बना रखे हैं. दिन के वक्त चूहे पटरियों के पास ही घूमते रहते हैं.
हो गया इतना बुरा हाल
रात होते ही चूहे प्लेटफार्म एक पर बने कार्यालयों, फूड प्लाजा, खानपान स्टॉलों के आसपास पहुंच जाते हैं. पिछले डेढ़ साल से प्लेटफार्म एक पर बंद चल रहे भोजनालय का चूहों ने अंदर से बुरा हाल कर दिया है. चूहों ने भोजनालय की दीवारों तक को खोद डाला. भोजनालय की नाली में असीमित चूहे हैं.
रेलवे ने दिया ठेका
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक रेलवे ने प्लेटफार्म, कार्यालयों, शौचालय, पुलिया नंबर नौ से सीपरी पुल तक पटरियों व कीट नियंत्रण के लिए लखनऊ की किंग सिक्योरिटी सर्विस कंपनी को ठेका दे रखा है. चार साल का ठेका नौ करोड़ रुपये में दिया गया है. इसमें दस लाख से अधिक रकम केवल चूहे और कॉकरोच मारने के लिए दी गई. इसके बाद भी स्टेशन पर चूहों का आतंक कम नहीं हुआ है.
वहीं कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि वह चूहों को कीटनाशक दवा खिलाकर उनका निस्तारण कर रहे हैं. लेकिन यह पता नहीं चलता कि चूहे कब पकड़े जाते हैं और उनका निस्तारण कहां होता है.
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