नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान किसानों को संबोधित (PM Modi Address to Farmers) किया. गुजरात के आणंद में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पीएम ने किसानों से अपने मन की बात की है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस शिखर सम्मेलन में प्राकृतिक खेती पर ध्यान केंद्रित किया गया है और किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके अपनाने के लाभों के बारे में सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी.
कृषि क्षेत्र में तकनीक का बड़ा रोल
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिए आज का दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें. आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं.’
‘किसानों की आय बढ़ाने पर जोर’
पीएम मोदी ने कहा कि खेती के साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन और सौर ऊर्जा, बायो फ्यूल जैसे आय के अनेक वैकल्पिक साधनों से किसानों को निरंतर जोड़ा जा रहा है. गांवों में भंडारण, कोल्ड चैन और फूड प्रोसेसिंग को बल देने के लिए लाखों करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं. मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक हमारी सरकार ने काम किया है.
पीएम मोदी ने ये भी कहा, ‘किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी करने तक और सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक हमारी सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं.’
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‘जीरो बजट खेती का मंत्र’
नेचुरल फार्मिंग #NaturalFarming का जिक्र करके हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा. बीज से लेकर मिट्टी तक सबका इलाज आप प्राकृतिक तरीके से कर सकते हैं. प्राकृतिक खेती खेती में न तो खाद पर खर्च करना है और ना ही कीटनाशक पर. इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है और बाढ़-सूखे से निपटने में ये सक्षम होती है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘चाहे कम सिंचाई वाली जमीन हो या फिर अधिक पानी वाली भूमि, प्राकृतिक खेती से किसान साल में कई फसलें ले सकता है. यही नहीं, जो गेहूं, धान, दाल की खेती में जो भी खेत से कचरा निकलता है, जो पराली निकलती है, इसमें उसका भी सदउपयोग किया जाता है. यानि, कम लागत ज्यादा मुनाफा. कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब में तराशने की भी जरूरत है. इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में डालना होगा. नया सीखने के साथ हमें उन गलतियों को भुलाना भी पड़ेगा जो खेती के तौर-तरीकों में आ गई है. जानकार ये बताते हैं कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है.’
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सोच बदलने की जरूरत
पीएम मोदी ने कहा कि एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी. जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है. पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी. मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है.
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राज्य सरकारों से अपील
पीएम ने इस मंच के जरिए देश की राज्य सरकारों से भी नेचुरल फार्मिंग से जुड़ने की अपील की है. अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि आज वो देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से ये आग्रह करते हैं कि वो सभी प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आएं. इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े.
किसे होगा फायदा?
पीएम मोदी के मुताबिक नेचुरल फार्मिंग से देश के देश के 80 प्रतिशत किसानों को सर्वाधिक फायदा होगा. जिनका काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है. अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी आर्थिक स्थिति और फसल दोनों बेहतर होगी.
नई रणनीति पर फोकस
वहीं पीएमओ के मुताबिक इस शिखर सम्मेलन में आईसीएआर के केंद्रीय संस्थानों और राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्रों और एटीएमए (कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध एजेंसी) नेटवर्क के माध्यम से 5 हजार से अधिक किसान उपस्थित रहे.