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विभाजन की विभीषिका : खैरागढ़ विश्वविद्यालय के बच्चों ने उकेरी वेदना, यातना और पीड़ा

खैरागढ़। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के विद्यार्थियों ने भारत के विभाजन की विभीषिका को एक प्रदर्शनी के जरिए प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया है। विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर लगाई गई पेंटिंग प्रदर्शनी में चित्रकला विभाग के कई विद्यार्थियों ने अपनी बनाई हुई पेंटिंग को प्रदर्शित किया है।

बच्चों के द्वारा बनाई गई पेंटिंग से पता चलता है कि 14 अगस्त 1947 की तारीख को भारत कभी भूल नहीं सकता। एक तरफ 200 वर्षो की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी, वहीं दूसरी तरफ देश के दो टुकड़े हो रहे थे। लाखों जानें गईं, लाखों बेघर हुए। वह सिर्फ देश की सीमा का भौगोलिक विभाजन नहीं था, बल्कि दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था।

उस अत्यंत पीड़ा, वेदना और यातना को खैरागढ़ विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने मार्मिक और प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया। इस प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय के बीएफए (बैचलर इन फाइन आर्ट्स) के विद्यार्थियों की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई गई। इन विद्यार्थियों में अनमोल गोयल, अभिजीत बगानी, शमप्रीत विरदी, मुस्कान पारेख, रंजीत, निशांत कुमार, विशाल कुमार, अनिल नायक और गिरीश दास आदि शामिल हैं।

यह प्रदर्शनी चित्रकला विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर विकास चंद्रा के संयोजन में लगाई गई। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर डॉ. आईडी तिवारी ने बताया कि विगत वर्ष प्रधानमंत्री के द्वारा विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस आयोजित किए जाने की घोषणा की गई थी, ताकि नई पीढ़ी को देश के इतिहास में दर्ज उस वेदना की जानकारी दी जा सके।

कुलसचिव प्रोफेसर डॉ. तिवारी ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डॉ. ममता (मोक्षदा) चंद्राकर के संरक्षण व मार्गदर्शन में यह प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें प्रतिभागी छात्र-छात्राओं और दर्शकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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