विभा सिंह ने अपने निवास में बोरे बासी भात खाया। साथ ही प्याज, दही, पापड़ और सब्जी का भी बोरे बासी के साथ स्वाद चखा।
उन्होंने कहा कि मैं खैरागढ़ की बहू हूँ। इस नाते मैं छत्तीसगढ़िया भी हूँ। एक महिला जब मायका छोड़ कर अपने पति के घर आती है तो ससुराल ही उसका सब कुछ होता।
मुझे अपने खैरागढ़ और छत्तीसगढ़िया संस्कृति से प्यार है। मैं यहां की मिट्टी में, यहां की संस्कृति में रच- बस जाना चाहती हूँ। सच कहूं तो आज बासी खाकर मुझे वाकई बहुत अच्छा लगा।
सीएम भूपेश जी सच्चे छत्तीसगढ़िया नेता है। हमारे छत्तीसगढ़ में बोरे बासी खाना सामान्य बात है लेकिन खान-पान की इस संस्कृति को उत्सव से जोड़ना तरीफे काबिल है। इस आयोजन को कुछ लोग जरूर छोटे रूप में ले रहे हो, लेकिन वास्तव में यह छत्तीसगढिया को पहचान दिलाने, उसके स्वाभिमान को जगाने का अभियान है।
सीएम भूपेश बघेल जी जिस तरीके से छत्तीसगढिया कला, संगीत, संस्कृति, तीज त्योहार को बढ़ावा दे रहे, उससे छत्तीसगढ़ की जनता उन्हें अपने काफी करीब महसूस कर रही हैं।

