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मजदूर को मजबूर समझना सबसे बड़ी गलतफहमी:-नीलेश यादव प्रदेश महासचिव श्रमिक विकास संगठन छत्तीशगढ़

ख़ैरागढ़: रविवार को श्रमिक दिवस के मौके पर महासचिव नीलेश यादव ने श्रमिको को गुलाब का फूल और गुलदस्ता देकर सम्मान किया, नीलेश यादव ने बताया कि दुनिया के करीब 80 देशों में एक मई को अवकाश रहता है। इसकी शुरुआत 1 मई 1886 से हुई थी तथा 1889 में मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया।
मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता, बल्कि मजदूर वह इकाई है, जो हर सफलता का अभिन्न अंग है। फिर चाहे वह ईंट-गारे में संदा आदमी हो या ऑफिस की फाइलों के तले दबा कर्मचारी। हर वो इंसान जो किसी संस्था के लिए कार्य करता है, उसके बदले में पैसा लेता है वह मजदूर है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब समझा जाता है। धूप में मजदूरी करने वाले को हम मजदूर समझते हैं, जबकि मजदूरी से समाज मजबूत एवं परिपक्व बनता है। समाज को सफलता की ओर ले जाते हैं।
शारीरिक तथा मानसिक रूप से मेहनत करने वाला हर इंसान मजदूर होता है। प्रदेश महासचिव नीलेश यादव ने कहा कि मजदूर को मजबूर समझना हमारी सबसे बड़ी गलती है। वह अपने खून पसीने की खाता है। ये ऐसे स्वाभिमानी लोग होते हैं, जो थोड़े में भी बहुत खुश होते हैं। इस मौके पर श्रमिकों को उपलब्ध सुविधाओं, कानूनी हक एवं श्रम न्यायालय के बारे में भी जानकारी दी गई।

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