हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम, धीरोदात्त राम जी को भी कभी-कभी ग़ज़ब “कन्हैयापन” सूझता है ????। आज अपने जन्मदिवस पर रघुवर ने मुझसे ही, कान्हा जैसी ग़ज़ब ठिठोली कर डाली।हुआ यूँ कि आज सुबह-सुबह रायपुर में मैंने जब अपनी टीम से पूछा कि “अपने-अपने राम” का आज का विशेष सत्र “हमर भांचा राम” शाम को कितने बजे है तो वे लोग बोले “सर, शाम को नहीं अभी दिन में दो बजे है”।मैंने कहा “ओह, तो किसी एसी ऑडिटोरियम में होगा?” । वे बोले “नहीं सर, खुले मैदान में टेंट लगाकर कर रहे हैं समिति वाले”।मैंने ग़ुस्से में कहा “तुम लोग और आयोजक ये क्या ग़ज़ब कर रहे हो ? चालीस डिग्री तापमान और खुले में राम का जन्मोत्सव?” ।पर फिर मन में सोचा राघवेंद्र अपने जन्मदिन “नौमी तिथि मधुमास पुनीता” में अपने जन्म के समय को याद कर के ही यह कौतुक करा रहे होंगे।”मध्य दिवस अति सीत न घामा” ।चलो चलकर देखते हैं।ढाई बजे मैदान में जब मंच पर पहुँचा तो अजीब ही नजारा था।एक तिहाई कुर्सियाँ भरीं और दो तिहाई ख़ाली। मैंने मन ही मन कहा “आपका जन्मदिवस प्रभु अब आप ही जानो।” और मन में राम बोलकर बोलना शुरु किया।
दस मिनट ही बोला था कि पता नहीं कहाँ से मंच और जनता पर बादल आकर छाँह करने लगे और न जाने कहाँ से सर्पिल समूहों में स्त्री-पुरूष-नौजवान आ-आकर कुर्सियों पर बैठने लगे।देखते ही देखते पूरा मैदान भर गया और पूरे समय बादल छाए रहे।आज मैं केवल माता कौशल्या और माँ शबरी पर बोला।दो घंटे से अधिक समय बोलकर उतरा ही था कि बूँदाबाँदी शुरु ????। वापस रायपुर-दिल्ली लौटता हुआ सोच रहा हूँ कि ननिहाल में आकर रामलला इतने शरारती हो जाएँगे यह तो सोचा ही नहीं था ????????❤️????
बोलिए सियावर रामचंद्र भगवान की जय ????❤️????
डॉक्टर कुमार विश्वास की कलम से
