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◆जोगी कांग्रेस के चुनाव प्रचार मे स्थानीय कार्यकर्ता कम बाहरी ज्यादा,
ऐसे मे जोगी कांग्रेस को क्या मिल सकता है फायदा?
खैरागढ ! खैरागढ विधानसभा उपचुनाव मे जोगी कांग्रेस भले ही जीत की दावा कर रही है लेकिन जोगी कांग्रेस की वर्तमान परिदृश्य ठीक नही है। थोक के भाव मे जोगी कांग्रेस समर्थकों का कांग्रेस पार्टी मे विलय होना जोगी कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व क्षमता को दर्शाती है। स्व. देवव्रत सिंह के समय जो समर्थक देखा जा रहा था वो असल मे जोगी कांग्रेस के समर्थक नही थे। बल्कि स्व. देवव्रत सिंह को चाहने वाले थे। वो अलग बात है कि देवव्रत सिंह को चुनाव लड़ने के लिए बैनर की जरूरत थी और कांग्रेस से उपेक्षा का शिकार था। देवव्रत सिंह कुछ समय के लिए राजनीति से दूर चला गया था या यूं कहें कि कांग्रेस पार्टी उन्हें तवज्जों देना बंद कर दिए थे। हालांकि देवव्रत सिंह कांग्रेस का समर्थन करना चालू कर दिए।
राजनांदगांव जिले मे एकमात्र खैरागढ विधानसभा मे जोगी कांग्रेस का कब्जा था। लेकिन वर्तमान मे यह सीट पूरी तरह से हाथ से निकलते दिखाई पड़ रहे है। इसका सीधा कारण यह है कि जिले के जिम्मेदार लोगो का कमजोर नेतृत्व. यदि इनका नेतृत्व क्षमता मजबूत होता त़ो आज एक भी कार्यकर्ता जोगी कांग्रेस पार्टी से अलविदा नही करते। देवव्रत सिंह के निधन के बाद जिले के शीर्ष नेता आराम फरमा रहे थे। और पार्टी के मजबूती को छोड़ अपने काम मे व्यस्त रहे। देवव्रत सिंह के निधन के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था। खैरागढ के संगठन मजबूती से खड़ा भी था। लेकिन जिले व प्रदेश स्तर के नेताओं का कार्यकर्ताओं से सीधा संबंध बनने के बजाय टूटने लगा। जिसे जोड़ पाना मुश्किल है।
इधर पार्टी मे चुनाव प्रचार करने वालो की कम संख्या देखकर भी यह अंदाज लगाया जा सकता है कि जोगी कांग्रेस का खैरागढ मे वापसी होना मुश्किल ही नही नामुमकिन है। पार्टी मे चुनाव प्रचार का जिम्मा बाहरी लोग सम्हले हुए है जबकि स्थानीय कार्यकर्ता कम दिखाई पड़ रहे है। ज्यादातर छुईखदान साल्हेवारा बकरकट्टा क्षेत्रों मे देवव्रत सिंह को चाहने वाले थे. लेकिन उनके निधन के बाद उनके शुभचिंतकों मे पार्टी के प्रति विश्वास खत्म है गया है। गंडई , उदयपुर, बुंदेली, बाजार अतरिया व जालबांधा क्षेत्रों मे तो पार्टी को कार्यकर्ता ही नही मिल रहा है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी का जनाधार किस ओर जा रहा है।
◆पालिका चुनाव रही फिसड्डी
खैरागढ़ नगरीय निकाय चुनाव मे जोगी कांग्रेस 6 वार्डों मे चुनाव लड़ा था। एक समय थोक के भाव मे जोगी कांग्रेस के समर्थकों का कांग्रेस प्रवेश के बाद खैरागढ़ मे जोगी कांग्रेस को शून्य माना जा रहा था. उस समय पैलेस मे रानी साहिब विभा सिंह के साथ बैठक कर जोगी कांग्रेस के समर्थकों ने नगरपालिका मे जोगी कांग्रेस के बैनर तले चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की. जहां जोगी कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। पालिका चुनाव मे जिले के जिम्मेदार नेता जिलाध्यक्ष, महासचिव सहित शीर्ष नेताओं ने तो खैरागढ मे खूब होटलिंग की लेकिन एक भी रिजल्ट दिला पाने मे नाकाम रहे।