राजनांदगांव। शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत गरीब बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाने का मामला अब तूल पकड़ते जा रहा है। जिले में लगभग 4 हजार गरीब बच्चों को अन्यत्र स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाना है और प्रतिदिन डीईओ नए-नए आदेश जारी कर नोडल अधिकारियों को दिग्भ्रमित कर रहे है और पीड़ित पालक अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने विभाग और नोडलों के चक्कर काट रहे है।
कोरोना काल में लगभग 40 प्रायवेट स्कूल बंद हो गए और इसमें लगभग 1500 आरटीई के गरीब बच्चों को शिक्षा विभाग ने प्रवेश दिलाया था। इन बच्चों को कक्षा बारहवीं तक पढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की है, लेकिन इन 1500 गरीब बच्चों को किन-किन स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है, इसकी झूठी जानकारी आरटीई नोडल ऑफिसर ने विधानसभा में दी है, इसकी लिखित नामजद शिकायतें भी हुई, लेकिन आज तक दोषी आरटीई नोडल ऑफिसर के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई।
जिले में लगभग 108 प्रायवेट स्कूल ऐसे है, जहां सिर्फ कक्षा आठवीं तक ही कक्षाएं संचालित है और लगभग 60 ऐसे प्रायवेट स्कूल है जहां सिर्फ कक्षा दसवीं तक ही कक्षाएं संचालित है और लगभग 125 ऐसे प्रायवेट स्कूल है जहां सिर्फ कक्षा पांचवीं तक ही कक्षाएं संचालित है, इन स्कूलों में लगभग 4 हजार आरटीई के गरीब बच्चे पढ़ रहे थे, जिन्हें इस वर्ष अन्यत्र स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाना है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे इंग्लिश माध्यम प्रायवेट स्कूलों में पढ़ रहे थे, अब उन्हें इंग्लिश माध्यमों के स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाना है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने सिर्फ कक्षा आठवीं उत्तीर्ण कर कक्षा नवमीं गए आरटीई के बच्चों को प्रवेश दिलाने नोडल अधिकारियों को पत्र लिखा गया है और नोडल अधिकारियों को उनके नोडल क्षेत्र के प्रायवेट स्कूलों में आरटीई की रिक्त सीटों के अनुपात ही प्रवेश दिलाए जाने का निर्देश दिया गया है। प्रायवेट स्कूलों में रिक्त नहीं होने की स्थिति में आरटीई के बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाने का फरमान जारी किया गया है, जिससे पालक आक्रोशित है, क्योंकि सरकार के पास शहर में सिर्फ एक ही अंग्रेजी माध्यम स्कूल है, जो कक्षा बारहवीं तक संचालित है और उनमें भी नवमीं की सीटे फुल है, यानि जो कक्षा नर्सरी से लेकर आठवीं तक अंग्रेजी माध्यम से स्कूलों में अध्ययन किया है, अब वह कक्षा नवमीं में सरकारी हिन्दी माध्यमों के स्कूल में प्रवेश पाएगा।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि जो बच्चा कक्षा नर्सरी से लेकर आठवीं तक अंग्रेजी माध्यम से स्कूलों में पढ़ा है, वह कैसे कक्षा नवमीं से हिन्दी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाई कर सकता है। जिला शिक्षा अधिकारी का यह आदेश न्यायसंगत और तर्कसंगत नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा जानबूझकर सुनियोजित ढंग से गरीब बच्चों के जीवन व भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का षड्यंत्र किया जा रहा है, जो उचित नहीं है।
श्री पॉल का कहना है कि नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी को शिक्षा का अधिकार कानून की जानकारी नहीं है और हजारों गरीब बच्चों के जीवन व भविष्य के साथ बार-बार खिलवाड़ होने नहीं दिया जाएगा, इसलिए हमने प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला को पत्र लिखकर नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी को तत्काल हटाने की मांग किया गया है।