




उज्जैन। अभिनव रंग मंडल द्वारा आयोजित 36वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह की शुरूआत 22 मार्च को नाटक ‘ग्लोबल राजा’ के मंचन से हुई। नाटक ने शासन व्यवस्था के संपूर्ण पटल से रूबरू कराते हुए समाज में व्याप्त सोच को व्यंग्यात्मक और सांकेतिक तरीके से प्रस्तुत किया। पूरी अवधि में यह नाटक गुदगुदाता रहा और अंत मे एक गम्भीर संदेश छोड़ गया कि हमारा रास्ता स्वदेशी का ही होना चाहिए।
‘ग्लोबल राजा’ अलखनंदन द्वारा लिखित मूल नाटक ‘उजबक राजा तीन डकैत’ हैस क्रिश्चेयन की बालकथा ‘द एम्परर्स न्यू क्लॉथ्स’ का नाट्य रूपांतरण है। व्यंग्यात्मक शैली में लिखे गए इस नाटक में नाटककार ने मल्टीनेशनल दर्जियों के बहाने राजव्यवस्था में राष्ट्रीय व बहुतराष्ट्रीय कंपनियों के षड़यंत्रों को प्रभावी रूप से प्रदर्शित किया। सत्ता में बैठे लोगों के द्वारा देशी वस्तुओं को बढ़ावा न देने और उनकी अवहेलना कर विदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक आयात करने के कारण ही आज देश की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है और अधिकांश कुटीर व लघु उद्योग लगभग खत्म हो चुके हैं। इस नाटक ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अधिकांश कुटीर व लघु उद्योगों पर या विश्व के बड़े बाजारों द्वारा छोटे बाजारों पर किये जा रहे हमले को व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया। नाटक विदेशी पूंजी के बढ़ते प्रभाव व उससे उपजे हमारी सांस्कृतिक अस्मिता के खतरों को भी प्रकट करता है। भी नाटक में राजा का उजबकपन एवं मंत्री की कमीशनखोरी व्यवस्था के वर्तमान स्वरूप को अच्छी तरह से उभारने के साथ-साथ गहरी राजनैतिक सोच को भी बड़ी सहजता के से प्रदर्शित किया। ‘ग्लोबल राजा’ का मंचन योगेंद्र चौबे के निर्देशन में हुआ तथा प्रस्तुति रंगमंडल नाट्य विभाग इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ की रही। योगेंद्र चौबे देश के युवा निर्देशक के रूप में प्रसिद्ध है। 2020 में उनका नाटक बाबा पाखंडी भी उज्जैन में चर्चे में रहा था । अभिनव रंगमंडल उज्जैन ने भी श्री चौबे को राष्ट्रीय अभिनव रंग सम्मान से सम्मानित किया है।
योगेन्द्र एक बहुत ही सुलझे हुवे नाट्य निर्देशक है। उनके नाटक मूलतः सोशियो पोलिटिकल होते हैं जिसमे समाज व समाज मे चल रही घटनाओं को बहुत ही सहज रूप से मंच पर उद्घाटित करते हैं।
संगीत का संयोजन एवं मास्क मेकअप का प्रयोग इस नाटक का प्रभावी पक्ष था।
मंच तथा मंच से परे नाटक को मूर्तरूप देने वालो में थे
राजा की भूमिका में धीरज सोनी, मंत्री परमानंद पांडेय, नौकरानी दीक्षा अग्रवाल, चोबदार अमन मालेकर, ढिंढोरची कुशाल सुधाकर, खंडाला दूत एवं भोपाली दर्जी अनुराग पांडा, मद्रासी दर्जी सोनल बागड़े, बिहारी दर्जी हिमांशु कुमार, ठग एक लखविंदर, ठग दो शनि राणा, ठग तीन उन्नति दे, राजा देशाबंधु सोमनाथ साहू, बच्चा विक्रम लोधी, कवि धूमकेतू की भूमिका हिमांशू ने निभाई। वहीं मंच से परे मंच प्रबंधन डॉ. चेतन्य आठले, संगीत संयोजन डॉ. योगेंद्र चौबे मोहन सागर, गीत अलखनंदन, घनश्याम साहू, हारमोनियम हितेंद्र वर्मा, ढोलक जानेश्वर तांडिया, मंच परिकल्पना धीरज सोनी, सामग्री अनुराग पंडा, रोहन जघेल, वेशभूषा एवं रूपसज्जा धीरज सोनी, दीक्षा अग्रवाल, प्रकाश परिकल्पना डॉ. चैतन्य आठले, परिकल्पना एवं निर्देशन
डॉ. योगेंद्र चौबे का रहा।
यहां यह बता दें कि नाट्य विभाग ने अभी हाल ही में रंगमण्डल की स्थापना की है। यह प्रयोग देश के विश्विद्यालयिन संरचना में अनूठा है जिसकी चर्चा देश भर में हो रही है। नाटक के सफल प्रस्तुति के लिए विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर ने नाटक के निर्देशक डॉ योगेन्द्र चौबे, व उनकी पूरी टीम को बधाई दी हैं।