कैसे मिले बेहतर इलाज चिकित्सकों और स्टॉफ की कमी से जूझ रहा सिविल अस्पताल
खैरागढ़:- जिले के एकमात्र सरकारी सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बदस्तूर बना हुआ है। गर्मी का संक्रामक मौसम आते ही अस्पताल में मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है। रोजाना सैकड़ों मरीज इलाज के लिए दूर-दूर के गांवों से जिला मुख्यालय के सिविल अस्पताल पहुंच रहे हैं लेकिन चिकित्सकों की कमी से मरीजों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों के उपचार के लिए अब अस्पताल में केवल तीन ही चिकित्सक रह गये है। इसके अलावा अस्पताल में कार्यरत कई चिकित्सकों, नर्स, ड्रेसर स्टॉफ के कर्मचारियों के पिछले वर्ष और कुछ इस वर्ष तबादले हो गये है या कोई अध्ययन करने बाहर चला गया हैं। इन परिस्थितियों के कारण ही मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
गर्भवती महिलाओं के उपचार में हो रही अधिक परेशानी
जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में सबसे अधिक परेशानी नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को डिलवरी के दौरान होती है। यहाँ महिला चिकित्सकों की कृत्रिम कमी के चलते मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
कैसे होगा महिलाओं का इलाज ?
सिविल अस्पताल में महिला डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। गंभीर बीमारियों के दौरान महिलाओं को राजनांदगांव या रायपुर जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं रह जाता है।
यौन हिंसा के केस में एमएलसी कराने पीड़िताओं को जाना पड़ता हैं दूसरे अस्पताल
जिला मुख्यालय में स्थित एक मात्र सिविल अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं होने से यहाँ यौन हिंसा के मामलों में पीड़िता को एमएलसी कराने छुईखदान,बाजार अतरिया, मरकामटोला या जालबांधा जाना पड़ता है जिससे पहले से ही पीड़ित व प्रताड़ित महिलाओं, युवतियों अथवा नाबालिक बच्चियों को अतिरिक्त परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। सिविल अस्पताल में महिला चिकित्सक की कमी से जिला चिकित्सा विभाग सहित जिला प्रशासन की किरकिरी हो रही हैं।
सिविल अस्पताल खैरागढ़ में महिला चिकित्सक नहीं हैं जिसकी जानकारी शासन को अवगत कराया गया हैं। यौन हिंसा के केस में एमएलसी कराने दूसरे स्थान से डाॅक्टर बुलाया जाता है।
डॉ.गणेश दास वैष्णव, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, केसीजी