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राज्यपाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर 16वें दीक्षांत समारोह का किया शुभारंभ

भारतीय कला एवं संगीत की समृद्धशाली संस्कृति को संरक्षित करें और आगे बढ़ायें : राज्यपाल सुश्री उइके

– इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा को सहेजें

– राज्यपाल ने विद्यर्थियों को डी.लिट्, स्वर्ण पदक, स्नातक-स्नातकोत्तर की उपाधि और शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की

– विद्यार्थियों व शोधार्थियों को उनकी उपलब्धि के लिए दी बधाई व शुभकामनाएं

– राज्यपाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर 16वें दीक्षांत समारोह का किया शुभारंभ

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के 16वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुई। राज्यपाल सह अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर तथा राजकुमारी इंदिरा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया गया। दीप प्रज्ज्वलन उपरांत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने कुलगीत की मनमोहक प्रस्तुति दी। तत्पश्चात राज्यपाल सुश्री उइके ने प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना पद्मभूषण उमा शर्मा, पाश्र्व गायिका पद्मश्री श्रीमती कविता कृष्णमूर्ति, प्रोफेसर पंडित विद्याधर व्यास, प्रसिद्ध नाट्यकर्मी व राष्ट्र नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक प्रोफेसर श्री देवेंद्रराज अंकुर तथा छत्तीसगढ़ के लोक गायक श्री दिलीप षडंगी को डी. लिट् की मानद उपाधि प्रदान की। साथ ही राज्यपाल सुश्री उइके ने  विद्यर्थियों को स्वर्ण पदक, स्नातक-स्नातकोत्तर की उपाधि और शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की। इस मौके पर उन्होंने विद्यार्थियों व शोधार्थियों को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी। 

 राज्यपाल सुश्री उइके ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जिनका नाम सुना था, जिनके गाने सुने थे, आज उन्हें सम्मानित करके गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। कला की लगभग सभी विधाओं के पारंगत कलाकार मंचासीन है, ऐसा विलक्षण अवसर विरले ही संभव होते हैं। उन्होंने सभी कला प्रेमियों से कहा कि कलाकार की नैतिक जिम्मेदारी भी है कि वह कला के द्वारा शिक्षा भी दें। लेकिन समझने की आवश्यकता है कि कला का ज्ञान हमें केवल पुस्तकों सेे नहीं मिलता है। प्रत्येक कलाकार को इसके लिए साधना करनी होती है। भारतीय कला-चिंतन में भी कला को एक साधना माना गया है। किसी भी प्रकार के बंधन से मुक्त कलाकार, प्रेम और सद्भाव का संदेश देता है। राज्यपाल सुश्री उइके ने विद्यार्थियों व शोधार्थियों से कहा कि यदि आप दृढ़ संकल्पित हो जाएं तो आप भी डी. लिट् जैसी प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त कर सकते हैं। 

 राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि प्रदेश के सांस्कृतिक विकास में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह एवं रानी पद्मावती देवी ने यह अमूल्य भेंट भारतीय संस्कृति को समर्पित की है। यह विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। मुझे पूर्ण विश्वास है आप सभी इस सांस्कृतिक विरासत व परंपरा को सहेजेंगे। उन्होंने कहा कि दीक्षांत का मतलब सिर्फ विधिवत शिक्षा-सत्र की समाप्ति से है। अब आप जीवन के नए चरण में प्रवेश करेंगे। मैं चाहूंगी कि आपने यहाँ जो सीखा है, जो ज्ञान अर्जन किया है, जिस कला की साधना की है, उसका आगे जीवन में सदुपयोग करें। आप लोगों ने यहां जो शिक्षा प्राप्त की है वह आपके भावी जीवन में काम आने वाली है भारतीय संस्कृति जितनी पुरानी है उतनी ही प्राचीन उसकी कलाई में साहित्य कला संगीत एवं नृत्य आदि संस्कृत के अंग है और इन्हीं के द्वारा देश की संस्कृति समृद्धि बनती लोक जवन और लोक कलाओं से निरंतर संवाद के बिना किसी काला का समुचित विकास संभव नहीं है जब भी यहां संवाद किसी कारण से और होता है तो इन कलाओं का विकास रुक जाता है। आप सभी जिस भी क्षेत्र में कार्य करें पूरी लगन और मेहनत से करें आपको सफलता अवश्य मिलेगी आप भारतीय संस्कृति के संवाहक हैं एक गर्व की बात है और इसी गर्व और आत्मविश्वास से बाहर की दुनिया में कदम रखे संगीत की दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने और अपनी सनद सारी संस्कृति को संरक्षित करें और आगे बढ़ाएं।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने सभी उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई दी संगीत व कला के अध्ययन के लिए खैरागढ़ विश्वविद्यालय का विशिष्ट स्थान है संगीत विश्वविद्यालय अपने प्रसिद्धि के अनुरूप अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा जो प्रशंसनीय उन्होंने दीक्षांत समारोह के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन को भी धन्यवाद दिया सांसद श्री संतोष पांडे ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती मौजूदा ममता चंद्राकर ने स्वागत उद्बोधन के माध्यम से विश्व विद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों की जानकारी दी इस अवसर पर सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया इस अवसर पर संभाग संभाग आयुक्त श्री महादेव कावरे कलेक्टर श्री तारण प्रकाश सिन्हा पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलपति श्रीमती अरुणा पलटा बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एन बाजपेई खैरागढ़ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्री तिवारी सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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