खैरागढ़ नगर पालिका में 37.73 लाख का घोटाला, लेखापाल दुष्यंत श्रीवास पर गंभीर आरोप, विभागीय जांच और स्थानांतरण की मांग

संचालक संचालनालय नगरी प्रशासन एवं विकास विभाग इंद्रावती भवन नया रायपुर में शिकायतकर्ता जफर उल्लाह खान ने की शिकायत
लेखापाल दुष्यंत कुमार पर गंभीर आरोप, विभागीय जांच और स्थानांतरण की मांग
खैरागढ़— नगर पालिका परिषद खैरागढ़ में पदस्थ लेखापाल दुष्यंत कुमार श्रीवास पर बड़े वित्तीय घोटाले का आरोप सामने आया है। वार्ड क्रमांक 8, तुरकारीपारा निवासी जफ़रुल्लाह खान ने संचालनालय नगरी प्रशासन एवं विकास विभाग, नया रायपुर को भेजी गई शिकायत में दावा किया है कि लेखापाल द्वारा नियमों को ताक पर रखकर 37 लाख 73 हजार रुपये की अनियमित भुगतान कर भारी आर्थिक हानि पहुंचाई गई है।
बिना सामग्री खरीदी लाखों का भुगतान :-
शिकायत के अनुसार
17,64,000 रू.(अध्यक्ष निधि)
20,09,000 रू.(पार्षद निधि)
कुल राशि ₹37,73,000 बिना किसी सामग्री खरीद, बिना बिल–वाउचर सत्यापन और बिना लेखा परीक्षण के ही चेक जारी कर दी गई। यह भुगतान नगर पालिका के प्रमाणित क्रमांक 226 और 227, दिनांक 25 जुलाई 2023 में दर्ज है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि लेखापाल ने छत्तीसगढ़ नगर पालिका लेखा नियम 1971 के नियम 81 का खुला उल्लंघन किया है, जिनमें भुगतान से पहले
दस्तावेज परीक्षण, सामग्री सत्यापन, माप पुस्तिका जांच, परीक्षण रिपोर्ट,टिप्पणी एवं स्वीकृति अनिवार्य होती है। लेकिन इनमें से एक भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
घोर लापरवाही या मिलीभगत?
शिकायत में यह भी कहा गया है कि लेखापाल द्वारा तैयार किया गया चेक बिना सामग्री खरीदी, बिना परीक्षण और बिना स्वीकृति प्रक्रिया के सीधे भुगतान के लिए भेजा गया। यह सीधे–सीधे मिलीभगत से राशि आहरण का मामला है। इस धनराशि का कोई जनहित या परिषद हित में उपयोग दिखाई नहीं देता।
जनता में चर्चा है कि इतनी बड़ी राशि का भुगतान बिना किसी कार्य या खरीद के कैसे हो गया?
शिकायतकर्ता की मांग – तत्काल स्थानांतरण और कड़ी जांच:-
शिकायतकर्ता जफ़र उल्लाह खान ने विभाग से मांग की है कि लेखापाल दुष्यंत कुमार श्रीवास को तत्काल खैरागढ़ से हटाकर अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए, संपूर्ण प्रकरण की उच्च स्तरीय विभागीय जांच कराई जाए, दोषी पाए जाने पर संपूर्ण राशि की रिकवरी संबंधित कर्मचारियों से की जाए,मिलीभगत में शामिल अन्य अधिकारियों की भी जांच की जाए।
खैरागढ़ नगर में इस शिकायत के बाद हड़कंप मचा हुआ है और नागरिक प्रशासनिक कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
विभाग की चुप्पी पर उठ रहे सवाल:-
इस गंभीर वित्तीय अनियमितता के मामले में अब तक न तो नगर पालिका अधिकारियों की कोई प्रतिक्रिया आई है और न ही नगरी प्रशासन व विकास विभाग की तरफ से कोई बयान।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर इतनी बड़ी राशि का भुगतान बिना सामग्री खरीदी कर दिया गया है, तो यह सीधे–सीधे भ्रष्टाचार है। इसकी निष्पक्ष जांच बेहद जरूरी है।
मामला अब विभागीय मुख्यालय पहुंचा:-
शिकायत नया रायपुर स्थित इंद्रावती भवन के संचालनालय तक पहुंच चुकी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में विभाग इस प्रकरण पर महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।
