[the_ad id="217"]

शासकीय शराब कोचीयो के हवाले, अवैध शराब पर लगाम लगाने मे सरकार नाकाम

राजू अग्रवाल खैरागढ़
छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा शराब का विक्रय किया जा रहा है छत्तीसगढ़ में शासकीय शराब की दुकान खुले 15 वर्ष से भी ऊपर हो रहा है यहां पर शराब का भाव का आज तुलना किया जाए छत्तीसगढ़ में जब ठेकेदार द्वारा शराब का वितरण किया जाता था उसके मुकाबले शासकीय दुकान में शराब का कीमत ज्यादा है दूसरी बात यह है कि जहां पर ठेकेदारी प्रथा के समय शराब दुकान था वह दुकानों का संख्या आधा हो गया!
आज से 15 साल पहले शराब के शौकीन के संख्या में प्रतिशत शराब पीने वालों का बड़ा भी है!
शराब दुकान के संख्या और भाव में ऊंचा दर होने के कारण आज अवैध शराब सीमावर्ती प्रदेशों से और दूर के प्रदेश से भी शराब का अवैध परिवहन बड़े जोरों से चल रहा है!
यदि हम एक वर्ष के ही आंकड़ों को देखें 1 वर्ष में 7000 मामले दर्ज हुए हैं अवैध शराब परिवहन
के 6 करोड रुपए का 1 वर्ष पर अवैध शराब पकड़ा गया है
41000 लीटर शराब एक वर्ष में पकड़ा गया है”!
छत्तीसगढ़ से लगा हुआ मध्य प्रदेश उड़ीसा और दूर गोवा का शराब गोवा छत्तीसगढ़ से 1400 किलोमीटर दूर है!
इसके अलावा पश्चिम बंगाल पंजाब हरियाणा से शराब 1500 लीटर अवैध शराब पकड़ा गया है
अवैध शराब पकड़े जाने पर 6 महीना से 2 वर्ष का कारावास का प्रावधान है साथ ही ₹200000 तक के दंड का प्रावधान है उसके बावजूद अवैध शराब परिवहन रुकने का नाम नहीं ले रहा है मध्य प्रदेश से सटा हुआ छत्तीसगढ़ में कवर्धा खैरागढ़ पंडरिया मुंगेली दुर्ग भिलाई रायपुर इत्यादि जगहों में हवाई ढंग से मध्य प्रदेश से शराब लाकर परिवहन करने पर पकड़ा गया है!
छत्तीसगढ़ सरकार जब शासकीय शराब दुकानों में शराब विक्रय कर रहा है और बाहर में शराब कोई सस्ता नहीं मिलता उसके बावजूद भी अवैध शराब का परिवहन चल रहा है इसे रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को शराब नीति में परिवर्तन करने की आवश्यकता है इस परिपेक्ष में छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ प्रदेश में 67 शराब दुकान नया खोलने का निर्णय लिया है इस गांव-गांव में अवैध शराब बिकने का जो सिलसिला जारी है उसमें निश्चित रूप से अवैध शराब का परिवहन में कमी आने की संभावना है!
शराब के भाव में छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ कमी तो किया है लेकिन वह कमी आज से 15 वर्ष पूर्व ठेकेदारों के द्वारा शराब का भाव रखा जाता था उसके मुकाबले में आज भी छत्तीसगढ़ शासकीय शराब दुकानों में शराब का भाव ज्यादा है!
पूरा देश में शराब पीने वालों के यदि आंकड़ा लिया जाए पहला नंबर पर आंध्र प्रदेश में शराब पीने वालों का संख्या ज्यादा है दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ आता है जहां शराब के शौकीन ज्यादा है!
शराब दुकान बंद कर देने से शराब पीने वालों के संख्या में कमी नहीं आने वाला है इसका कारण है शराब के शौकीन इस प्रदेश में है इसके वजह से शराब का दुकान कम ज्यादा होना या शराब पीने वालों की संख्या में गिरावट आना यह संभव नहीं है
सरकार को ऐसा शराब नीति बनाना चाहिए जिससे अवैध ढंग से जो शराब छत्तीसगढ़ में पहुंच रहा है उसे बंद तो नहीं किया जा सकता लेकिन उसमें कमी जरूर लाया जा सकता है!
शासकीय शराब दुकानों में शराब के भाव में और कमी लाने की आवश्यकता है जिससे बाहर से शराब लाकर बेचने वालों का शराब अवैध ढंग से ना बिक सके शराब के शौकीन शासकीय शराब दुकान में ही भाव के वजह से खरीदारी शासकीय शराब दुकानों से करें!
याद होगा पाठकों को जब ठेकेदारी प्रथा से शराब बिकता था ठेकेदार के द्वारा बहुत से जगह मैनेजमेंट किया जाता था इसके वजह से उनका खर्चा बढ़ जाता था यहां तक ठेकेदार व्यवस्था रखते थे कुछ लोगों को रियायत दर पर शराब देने के लिए उन्हें कूपन दिया जाता था!
उनके स्टाफ में सेल्समैन के अलावा गद्दीदार अकाउंटेंट उसके अलावा कुछ लथेट भी हुआ करते थे इसके कारण से उनका खर्चा ज्यादा होता था!
फिर भी वह काफी मुनाफा कमाते थे! (ठेकेदार )
शासकीय शराब दुकानों में आबकारी विभाग पुलिस इत्यादि इन्हें शराब दुकान पर संचालित करने के लिए शासकीय आधार पर शराब दुकानों का देखरेख इन विभागों के द्वारा होता है
शासकीय शराब दुकानों में ज्यादा स्टाफ भी नहीं होता है इसलिए शासन का खर्चा ज्यादा नहीं होता है यहां कोई कूपन मांगने नहीं आता इस प्रकार से शासकीय शराब दुकानों में ज्यादा पब्लिक का इंटरफेयर नहीं होता है!
सरकार अपने नीतियों में परिवर्तन करें तो निश्चित रूप से अवैध परिवहन में लगाम लगाया जा सकता है सरकार के पास नीति निर्धारण करने के लिए काफी बड़े-बड़े ऑफिसर हैं जो इस प्रकार से नीति निर्धारित कर शराब के अवैध परिवहन में लगाम लगाया जा सकता है!

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Reply

[the_ad id="219"]
POLL
What does "money" mean to you?
  • Add your answer
BREAKING NEWS
LIVE CRICKET
REALTED POST
[the_ad id="242"]