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महाकाली आश्रम जांजगीर के स्वामी सुरेन्द्र नाथ जी को श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा के छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने पर साधु समाज में हर्ष व्याप्त है

महाकाली आश्रम जांजगीर के स्वामी सुरेन्द्र नाथ जी को श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा के छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने पर साधु समाज में हर्ष व्याप्त है

जांजगीर :- उदारचरित, बहुत सरल व्यक्तित्व के धनी नवयुगीन सन्त स्वामी सुरेन्द्र नाथ जी, किसी पद की अभिलाषा से विमुक्त अपने आधात्मिक, धार्मिक कार्यों के माध्यम से सदैव लोक कल्याण के कार्यों में संलग्न रहते हैं, जिस तरह से स्वामी जी ने लोगों में एक आध्यात्मिक चेतना जगृत की है, और सभी धर्मों के लोगों के बीच जैसी उनकी पहुँच व प्रभाव है, किसी अन्य के लिए स्वप्न हो सकता है। उनके सर्वधर्म स्वीकार्यता को देखते हुए, स्वामी श्री सुरेंद्रनाथ जी महाराज को  “श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा” ने छत्तीसगढ़ का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। नियुक्ती पत्र जारी करते हुए श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्री 1008 श्री परम पूज्य युवा संत  अनिरुद्ध गिरी जी महाराज (श्री धाम वृंदावन ) उपस्थित थे, उन्होंने श्री पंच दशनाम  गुरुदत्त अखाड़ा परिवार की ओर से स्वामी जी को बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की, स्वामी जी को प्रदेशाध्यक्ष बनाये जाने पर साधु समाज एवं भक्त जनों में हर्ष व्याप्त है।

स्वामी जी ने श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा एवं सन्त समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि – समाज में साधुओं की आवश्यकता है, साधु ही समाज में नए विचार, नई ऊर्जा प्रेषित कर क्रांति लाता है, साधु ही समाज को प्रेरित करता है।

स्वामी जी ने सारे साधु समाज का आह्वान करते हुए कहा कि- समाज को जड़ता, और सुसुप्तावस्था से जगाने के लिए समस्त साधु सम्प्रदायों को एक होकर काम करना पड़ेगा, आज सबसे ज्यादा यदि कोई प्रताड़ित है, तो वो है सनातन धर्म, जिसपर चौतरफा प्रहार किया जा रहा है, याद रखिये धर्म बचेगा तभी हम बचेंगे, इसलिए धर्म के रक्षार्थ न सिर्फ साधु-सन्तों को बल्कि प्रत्येक सनातन धर्मावलंबी को जागना होगा।  आगे स्वामी जी ने कहा हर पंथ, हर संप्रदाय के साधु को मिलकर सनातन धर्म को ऊपर उठाने और उसकी महानता को स्थापित करने में अपना योगदान देना होगा, धर्म की रक्षा ही साधु जीवन का परम् कर्तव्य है। विशेष कर छत्तीसगढ़ के सभी साधु एक होंगे तभी छत्तीसगढ़ में एक धार्मिक क्रांति आएगी। हमारे आदिवासी पिछड़े वर्ग तक साधु समाज पहुंचे, ये मेरा प्रयास रहेगा। साधु भी जंगल में निवास करता है, और आदिवासी भी, तो हम साधु-सन्तों का कर्तव्य है, अपने आदिवासी भाई बहनों को अपनी हिंदुत्व की विरासत से उसे जोड़े रखने में अपना कर्तव्य निभाएं। अंतिम आदिवासी जन तक पहुंच बनाएं ताकि भोलेभाले आदिवासी भाई बहनों का धर्मांतरण रोका जा सके। 

छत्तीसगढ़ बत्तीस प्रतिशत आदिवासी बहुल राज्य है, प्रत्येक आदिवासी समुदाय की अपनी भिन्न पहचान है, उनकी सांस्कृतिक विरासत को छेड़े बिना सनातन से जोडने का प्रयास करेंगे। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में हमारे आदिवासी अंचलों में धर्मांतरण होता है, हम सरकार को इसकी गम्भीरता का भान कराएंगे, ताकि तेजी ऐसे सुदूर पिछड़े इलाकों में सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। साथ ही प्रत्येक हिन्दू से मेरा अनुरोध है, सिर्फ सरकार के कार्यों की प्रतीक्षा न करें, हम स्वयं अपने कमजोर भाई बहनों का सहयोग कर उसे ऊपर उठाएं, जाति-पाती के भेद भुलाकर सभी सनातनी एक हो जाओ, तभी छत्तीसगढ़ में धार्मिक उन्नति होगी और सामाजिक क्रांति आएगी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा, अनुरुद्ध जी महराज

स्वामी सुरेंद्र नाथ प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा

महाकाली आश्रम जांजगीर

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