छत्तीसगढ़-छत्तीसगढ़ में इन दिनों एक और महामारी तथा दूसरी और बेरोजगारी की मार है वहीं दूसरी ओर आला स्तर के अधिकारी अपनी मनमानी करने पर आतुर हैं।
मामला स्वास्थ्य विभाग का है स्वास्थ्य विभाग की मिशन संचालक प्रियंका शुक्ला के द्वारा कार्यमुक्त किए बिना ही नई भर्ती निकाल कर कार्यरत कर्मचारियों के पेट पर लात मारने की कोशिश की है जबकि एकम फाउंडेशन और एनएचएम की अनुबंध 31 मार्च 2022 को खत्म हो चुकी थी। एकम फाउंडेशन रायपुर के द्वारा बगैर किसी पत्राचार के एनएचएम के द्वारा स्वयं ही 2 महीने का अनुबंध बढ़ा दिया गया और नई भर्ती हो जाने तक पूर्व के कर्मचारियों से कार्य लिया जा रहा है।
सोचनीय पहलू तो यह है की कार्यरत कर्मचारियों को ही समायोजित क्यों नहीं किया जा रहा।
कार्यरत कर्मचारियों के रहते हुए उन्हीं पदों के लिए भर्ती निकालने की आखिर ऐसी क्या स्थिति आन पड़ी।
भर्ती निकालने की प्रक्रिया बहुत से सवालों पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा रही है।
भर्ती प्रक्रिया में एमडी एनएचएम के द्वारा आश्वासित भी किया गया है कि किसी प्रकार की कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी। स्टाफ नर्सों की भर्ती में बगैर परीक्षा दिए बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो पूर्णता प्रभावित हो जाएंगे।
एक तरफ तो सब सचिवीय सहायक के पद भी सृजित किए गए हैं और एकदम फाउंडेशन द्वारा नियुक्त विगत 6-7 वर्षों से कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को बगैर जानकारी दिए उनके स्थान पर नए लोगों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ऐसे में उनके समक्ष रोजगार की विकट समस्या आन पड़ी है।
कर्मचारियों द्वारा इस संदर्भ में कई बार पत्राचार भी किया गया लेकिन अंधेर नगरी और चौपट राजा जैसा हाल है।
अफसरशाही इतनी हावी है कि अधिकारियों द्वारा विभागीय मंत्री मुख्यमंत्री तक पहुंचने भी नहीं दिया जा रहा है यहां तक कि डरा दिया गया है कि ऐसा करने से आपकी प्राथमिकता खत्म हो जाएगी।
एनएचएम द्वारा भर्ती तिथि के समाप्त होने तक किसी प्रकार से कोई सूचना नहीं दी गई कि आप कर्मचारियों को कार्य मुक्त किया जा रहा है इनके ऐसे कृत्य कर्मचारियों में काफी रोष है वह अपने रोजगार को लेकर मानसिक परेशान हो रहे हैं।
इधर शासन प्रशासन के उच्चाधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है। कर्मचारियों के द्वारा किए गए पत्र 4 को दुर्ग सांसद माननीय विजय बघेल ने अपने लेटर हेड में विभागीय मंत्री टीएस सिंह देव एवं राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी इस संदर्भ में संज्ञान लेने की बात कही है लेकिन वर्तमान तक किसी प्रकार से कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई और भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को संज्ञान लेते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगानी चाहिए साथ ही 6 से 7 वर्ष सेवा दे चुके कर्मचारियों को समायोजित कर दिया जाना चाहिए जिससे कि शासन की छवि धूमिल ना हो
जहां एक और खुले मंच से कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में नियमितीकरण की बात कही थी वहीं दूसरी ओर नियमितीकरण तो दूर की बात है कार्यरत कर्मचारियों को भी बाहर का रास्ता दिखा कर बेरोजगार किया जा रहा है।
आज के दौर में जहां एक और महंगाई आसमान छू रही है वहीं दूसरी ओर कार्यरत कर्मचारियों को कार्य मुक्त किया जाना किस हद तक न्यायोचित निर्णय है।
कार्यमुक्त कर्मचारियों द्वारा छह 7 वर्षों से दिए गए कार्य के बाद बाहर का रास्ता दिखा देने से लोगों तथा कर्मचारियों में काफी आक्रोश है।
एक तरफ अपनी बेहतर कार्यशैली से कांग्रेस ने 16 बनाने की कोशिश की है वही कुछ आला अधिकारियों के मनमानी की वजह से शासन सत्ता की छवि धूमिल हो रही है।

