भाजपा नेता ने किया सुतली सप्लाई का खेल, हड़ताल अवधि में छोड़ा सामान
पिछले साल खरीदी एवं संग्रहण केन्द्रों में बड़े स्तर पर धांधली:-
खैरागढ़ – बीते साल धान उपार्जन केंद्रों में धान बोरी सिलने वाली सुतली और मिलर, संग्रहण केंदों में भेजने वाले धान बोरों को रंगने वाले कलर मे बड़े स्तर पर धांधली की जानकारी मिल रही है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के अनुसार राजधानी रायपुर में थोक रेट में बेहतर गुणवत्ता वाली बोरी सीलने की सुतली 65 से 70 रूपए किलों में मिल जाती है जो खुले बाजार में ज्यादा से ज्यादा 75 रूपए प्रति किलो के भाव से आसानी से उपलब्ध हो जाती है लेकिन इस बार वही सुतली समिति प्रबंधकों ने 120 रूपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदा है जबकि बीते साल इससे बेहतर क्वालिटी की सुतली धमधा दुर्ग की कंपनी ने 94 रूपए किलो में पहुंचाकर दिया था।
जिले के 51 खरीदी केंद्रों में धान खरीदी हो रही है जिसमे ज्यादातर खरीदी केंद्रों में इसी दर में सुतली खरीदने की जानकारी मिल रही है।
पता चला है कि उक्त सुतली और रंग की सप्लाई नपा में स्टेशनरी सप्लाई और छपाई के नाम पर विवादों में घिरे भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष और तुरकारी पारा पार्षद पति विकेश गुप्ता द्वारा अपनी फर्म विजय आफसेट प्रिंटर्स के माध्यम से की गई है। जिसमें उन्होंने धान खरीदी शुरू होने से पहले ही जिले के लगभग सभी खरीदी केंद्रों में समिति प्रबंधकों पर भाजपा नेताओं के ऊपर से दबाव बनवाकर पार्षद पति विकेश गुप्ता ने कई क्विंटल बोरी सिलने वाली सुतली और सैकड़ों लीटर छपाई में काम आने वाला कलर सप्लाई किया है। समिति प्रबंधकों को यह तय करने का अवसर भी नहीं मिला कि वो खरीदी के लिये और कहीं संपर्क करें।
गौरतलब है कि समर्थन मूल्य में धान खरीदी करने पर समिति को प्रति क्विंटल प्रासंगिक व्यय के रूप में शासन स्तर पर राशि जारी होती है जिसका उपयोग उन्हें सुतली और कलर खरीदी, हमालों का भुगतान, कैंप कवर जैसी अन्य जरूरतों के अलावा खरीदे धान की सुरक्षा को लेकर चौकीदारों को मासिक वेतन भुगतान के रूप में करना होता है, लेकिन यहा बिना दर तय किये खरीदी केंद्रों में सुतली पहुंचा दिया गया जिसे लेकर भी केंद्र प्रभारियों में पहले से खासी नाराजगी है वही अब बिल मिलने के बाद प्रति किलो 20 से 25 रूपयों की अंतर राशि को लेकर परेशान है, लेकिन भाजपा नेताओं के दबाव दहशत के चलते मजबूर है।
कीमत देख समिति प्रबंधकों के उड़े होश:-
समिति प्रबंधकों का कहना है कि बीते साल उन्होंने स्वयं दुर्ग से सुतली की क्वालिटी चेक करने के बाद अपने स्तर पर आर्डर दिया था। सहकारी बैंक परिसर में पार्षद पति ने मुलाकात कर बताया कि इस दफे वो सप्लाई करेंगे। उनके हड़ताल के दौरान विजय आफसेट के नाम से कच्चा बिल देकर सामान छोड़कर गए है इसका पता उन्हें हड़ताल से वापस आने के बाद चला। पांडादाह समिति प्रबंधक ने बताया कि विकेश गुप्ता द्वारा फोन में बताकर सुतली और रंग छोड़ा गया था। पिछले बार 90 रूपये किलो में लिए थे। बढ़ाईटोला समिति प्रबंधक का कहना है कि सामान आ गया है। बिना कोटेशन लिए विजय आफसेंट के संचालक द्वारा दस गठान सुतली और रंग भेजा गया है। रेट तय नहीं हुआ है। नपा में स्टेशनरी सप्लाई और छपाई काम हासिल करने की तरह इस बार सुतली और रंग सप्लाई का काम हासिल करने की जुगत पार्षद पति द्वारा लगाने की जानकारी मिली है। खरीदी केंद्रों को दिए कोटेशन में गुप्ता बिल्डिंग नीड्स गोलबजार द्वारा प्रति क्विंटल 13 हजार, नमो एग्रो धमधा द्वारा प्रति 50 किलो 6 हजार 400 और सबसे अंत में कम रेट वाला अपनी फर्म विजय आफसेट के नाम से प्रति 50 किलो गठान का 6 हजार रूपए की दर का उल्लेख किया गया है। रंग और सिलने के काम आने वाले लोहे का सूजा को लेकर भी इसी तरह दस बीस रूपयों का अंतर रखा गया है!
कोटेशन डालने लेटर हैड में किया बदलाव
नपा में स्टेशनरी सप्लाई और छपाई को काम हासिल करने 11 जुलाई 24 को प्रस्तुत कोटेशन में गुप्ता आफसेट प्रिंटर्स द्वारा खुद को सभी प्रकार के छपाई कार्य व स्टेशनरी सामानों के विक्रेता के रूप में दर्शाया गया, लेकिन सुतली सप्लाई का काम हासिल करने चार महीने बाद 4 नवंबर को स्टेशनरी के बाद जूट, सुतली व कलर के विक्रेता अंकित कर दिया गया। जिसकी जानकारी होने के बाद जनसामान्य में इस बात की चर्चा हो रही कि सरकारी विभाग में काम हासिल करने अब विष्णु के सुशासन में रोज नया नया फर्म बड़ा हो जाए और बिल्डिंग मटेरियल की सप्लाई करने वाले के नाम से गुमाश्ता लाइसेंस लेने के बाद दुकानदार सोने चांदी का बिल लगाकर सरकारी विभागों में सामान सप्लाई करने लगे तो किसी के लिए आश्चर्यजनक नहीं होगा। वहीं अधिकारी भी इस मामले में वाजिब जवाब देने से कन्नी काट रहे है उनका कहना है कि यह प्रासंगिक राशि समिति स्तर पर खर्च करना प्रबंधक के उपर निर्भर करता है।