खैरागढ़ – पटवारियों द्वारा भूमि के रिकार्ड दुरुस्ती एवं नवशा बटांकन में लापरवाही और गलतियां कर खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। जमीन के राजस्व अभिलेखों में नामांतरण प्रमाणीकरण या रिकार्ड दुरुस्ती के समय भूमि स्वामियों के नाम दर्ज करते समय नाम लिखने में अक्षर या मात्रा में गलतियां पटवारियों द्वारा किया जा रहा है। पटवारियों के द्वारा भूमि स्वामियों के नाम गलत लिखे जाने से उसे सुधार कराने किसानों को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है, जिसे सुधार कराने लोगों को आर्थिक हानि के अलावा भारी मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सुधार कराने के लिए किसानों व पक्षकारों को महीनों कार्यालय एवं हल्का पटवारियों के चक्कर लगाने पड़ते है, जिससे लोगों का कीमती समय बार-बार महीनों चक्कर लगाने से बर्बाद हो जाता है। लापरवाही एवं गलतियां राजस्व विभाग तथा हल्का पटवारियों के द्वारा किया जाता, लेकिन वक्त जरूरत पर जमीन के कागजात की आवश्यकता पड़ने पर उसे त्रुटि सुधार कराने सारे प्रमाण संबंधित किसानों व भूमि स्वामियों को देना पड़ता है और बार-बार तहसील कार्यालय एवं अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय राजस्व का चक्कर लगाना पड़ता है जो मानवीय रूप से उचित नहीं है एवं लोगों के साथ अन्याय है। क्योंकि गलतियां विभाग की है तो उसे अन्य प्रमाणित दस्तावेजों और रिकार्ड में मिलान कर सुधार करने की संपूर्ण जिम्मेदारी भी विभाग एवं संबंधित हल्का पटवारियों का होना चाहिए।
नक्शा बटांकन के बिना नहीं हो रहा पंजीयन:–
आजकल कई टुकड़ा हो चुके जमीन का बिना नक्शा बटांकन एवं भूमि स्वामियों के नाम के अक्षर या मात्रा में कोई भी गलतियां बी वन, खसरा पांचसाल में दर्ज भूमि स्वामियों के नाम में कोई भी त्रुटि पाए जाने पर भूमि पंजीयन नहीं हो रहा है, जिससे विभागीय गलतियों के कारण लोगों का अतिआवश्यक कार्य प्रभावित हो रहा है। त्रुटि सुधार कराने की प्रक्रिया में काफी लंबा वक्त लग जाता है जिससे भूमि स्वामियों को कई प्रकार के परेशानियों का सामना करना
पड़ता है एवं उनका अति आवश्यक काम प्रभावित हो जाता है।
जांच प्रतिवेदन जमा करने लगाते हैं लंबा समय :–
वहीं संबंधित हल्का पटवारियों के द्वारा अधिकारियों के आदेश के परिपालन में तत्परता पूर्वक स्वतः से जांच प्रतिवेदन भी तत्काल जमा नहीं किया जाता है इसके लिए पक्षकारों को नाक रगड़ना पड़ता है। जांच प्रतिवेदन जमा कराने के लिए पक्षकारों को पटवारियों के घर या दफ्तर का बार बार चक्कर लगाना एवं आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ता है, तब जाकर काफी लंबे समय बाद जांच प्रतिवेदन पटवारियों के द्वारा जमा किया जाता है। जिससे लोगों के प्रकरणों के निवारण में काफी लंबा समय लग जाता है। यही कारण है कि लोगों को राजस्व विभाग में कोई भी कार्य कराने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
गलती पाए जाने पर तत्काल हो कार्रवाई:-
राजस्व रिकार्ड दुरुस्ती में कोई भी गलतियां पाए जाने पर अधिकारियों को स्वतः संज्ञान में लेकर इसकी तत्काल जांच कराकर संबंधित हल्का पटवारियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही भी किया जाना चाहिए। त्रुटियों में सुधार हेतु संबंधित हल्का पटवारियों के द्वारा पुराने राजस्व अभिलेखों में एवं पंजियो में मिलान कर प्रमाण सही पाए जाने से तत्काल अभिलेखों में त्रुटि सुधार कर सही किया जाना चाहिए ताकि विभागीय गलतियों के लिए निर्दोष लोगो को किसी भी तरह के बेवजह परेशानियों का सामना करना न पड़े तथा दस्तावेजों के अभाव में लोगो का कोई भी अति आवश्यक कार्य प्रभावित न हो।
पटवारी स्तर पर हो त्रुटि सुधार:-
साक्ष्य प्रस्तुत के आधार पर त्रुटि सुधार के प्रक्रिया व नियमों को सरलीकरण करते हुए तत्काल हल्का पटवारियों के द्वारा त्रुटि सुधार करने का प्रावधान शासन प्रशासन को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ताकि त्रुटि सुधार कराने में लोगो को परेशानियों का सामना करना न पड़े और लोगों का त्वरित कार्य हो सके।