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छत्तीसगढ़ में सरकार की कार्यशैली यदि ऐसी ही रही तो अगले दस वर्षों तक भाजपा की सत्ता में वापसी का मार्ग अवरुद्ध हो जाएगा – स्वामी सुरेन्द्र नाथ

छत्तीसगढ़ में सरकार की कार्यशैली यदि ऐसी ही रही तो अगले दस वर्षों तक भाजपा की सत्ता में वापसी का मार्ग अवरुद्ध हो जाएगा – स्वामी सुरेन्द्र नाथ

खैरागढ़ –छत्तीसगढ़ की जनता भोली भाली ज़रूर है, किन्तु मूर्ख नहीं, राजनीतिक पार्टियां जब सत्ता से बाहर होती हैं, तो लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन करती हैं, लेकिन सत्ता में आते ही जनता की समस्याएँ दिखना बन्द हो जाता है।

जब काँग्रेस की सरकार थी तो बीजेपी लॉ एंड ऑर्डर बनाये रखने के लिए, महिलाओं की सुरक्षा के लिए, और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़को पर आए दिन प्रदर्शन करती थी, लेकिन आज जब सत्ता उनके ही हाथ में है, तब भी छत्तीसगढ़ में माताएं बहने सुरक्षित नहीं है, अधिकारी भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा छू रहे हैं, नीचले कर्मचारी असंतुष्ट हैं जिनकी गुहार कोई सुनने वाला नहीं है और बिना अनुभव के विधायक, महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री बना दिए गए हैं, जिन्हें इतना अहंकार हो गया है, कि वे जनता की कोई परवाह ही नहीं कर रहे हैं, जनता भटक रही है, और मंत्री मुगालते में हैं। मंत्री पद और पावर का लुफ्त उठा रहे हैं। अहंकार को ऊंचा करके घूम रहे हैं, जनता को नीचा दिखा रहे हैं। भ्रष्टाचार चरम पर है, इस सरकार को, ये आभास ही नहीं है कि, कांग्रेस सरकार को जनता की सेवा करने के बाद भी, उनके भ्रष्टाचार के कारण, जनता ने उन्हें उखाड़ फेंका, क्योंकि जनता सब देखती और समझती है, जिसका परिणाम चुनाव के नतीजों में दिखाई देता है। काँग्रेस के भ्रष्टाचार और जीत के अहंकार को देखते हुए, मैंने कांग्रेस सरकार को सचेत किया था और अब भाजपा सरकार को भी आगाह कर रहा हूं, कि जब जनता मौन हो जाए तो सरकारों को चौकन्ना हो जाना चाहिए, जागृत हो जाना चाहिए क्योंकि जनता का मौन आपको सत्ता से बेदखल करने का पहला संकेत है, जनता ने आपको अवसर दिया है, कि आप पिछली सरकार की कमियों को सुधारें, जनता की आवाज सुने, लेकिन सत्ता हाथ लगते ही आपको गुमान हो गया। किस बात का गुमान है. आपको लगता है कि ये जीत आपके योग्यता की है, तो आप गलतफहमी में हैं। पूरे साधु समाज ने, हिंदुत्व के लिए अपना योगदान देने वाले सभी हिंदू भाइयों ने, बहुत प्रयासों से, रात दिन एक कर के भाजपा को सत्ता में वापस लाये हैं, किन्तु भाजपा सरकार, साय की सरकार सांय सांय चलाने के भ्रम में है, लेकिन जिस तरह से भ्रष्टाचार और वरिष्ठ नेताओं की अपेक्षा की राजनीति चल रही है, आपके 9 महीने के कार्यकाल में ही जनता असन्तुष्ट है, इस तरह से वह दिन दूर नहीं जब जनता आपको सत्ता से उखाड़ फेंकेगी और यह मेरी भविष्यवाणी है कि इस बार भाजपा गई तो हम साधु संतों का भी सपोर्ट नहीं मिलेगा और अगले 10 साल के लिए इस सत्ता से आप बेदखल हो जाएंगे। इससे पहले की जनता में आक्रोश जागे और आपके कार्यकाल के पांचवें वर्ष आते तक जनता त्रस्त होकर, सबक सिखाने की मंशा बना ले, आप जनता के प्रति समर्पित होकर काम करिए, ग्राउंड लेवल के कर्मचारियों की सुध लीजिये, सरकार की बड़ी-बड़ी योजनाओं का धरातल पर क्रियान्वयन करने वाले, उन कर्मचारियों की सरकार सुध ले, क्योंकि इन्होंने भी कुछ उम्मीदें मन में रखकर बीजेपी को वोट किया होगा। जनता ने आपको सिर आंखों पर बैठाया है, तपती धूप में वोट देकर आपको सत्ता के सिंहासन तक पहुंचा है इसलिए नहीं कि आप सिंहासन का मजा लीजिए। आपको जनता ने सिंहासन सौंपा ताकि आप जनता की फ़िक्र कीजिए, जनता की आवाज सुनिए जनता के हित में काम कीजिये।

साय सरकार को, महज 8 9 महीनों में ही जनता की असंतुष्टि का सामना करना पड़ रहा है, कोई तो कारण होगा कि अपनी हो सरकार के विरुद्ध, सांसदों और विधायकों को चिट्ठी लिखना पड़ रहा है, मीडिया में बयान देना पड़ रहा है। कहीं न कहीं आपसी संवाद की कमी है, वरिष्ठ और नए लोगों के बीच असहजता है, नए अनुभव विहीन लोगों को जिम्मेदार पदों पर बैठाया गया और पुराने लोगों की उपेक्षा कर रहे हैं, जिसकी जिम्मेदार भाजपा आलाकमान भी है, जो प्रदेश की राजनीति पर और सरकार के क्रियाकलापों पर ध्यान नहीं दे रही है।

साधु संतों का भी सम्मान नहीं हो रहा है, सरकार के गलत निर्णयों पर साधु संत भी अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं, इसलिए सरकार निरंकुश हो गई है, ठीक है शेष चार साल तो निकाल ले, भाजपा सरकार लेकिन इसबार जाएगी तो अगले 10 बरस भाजपा सरकार की वापसी नहीं

होगी, ये एक साधु की वाणी है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार जैसे चल रही है, यदि इसी तरह से चलती रही तो वो दिन दूर नहीं है जब जनता इन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकेगी। इसलिए अभी समय है, भाजपा संगठन, और सरकार दोनों जाग जाएं, जनता ने जिन उम्मीदों से आपको वोट किया था, उन्हें पूरा करें, और सरकार जनता के प्रति अपनी जवाबदेही तय करे, तभी जनता का दिल जीत पाएगी, अन्यथा पछताएगी।

जब अपनी ही सरकार के फरमान, और नीतियों के विरुद्ध सांसदों और विधायकों को पत्र लिखना पड़े तो, जनता से छुपाना मुश्किल होगा, कि ढोल में कितने पोल हैं..!

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