।। आमनेर के किनारे मड़ौदा में ग्यारहवाॅं गीत यामिनी सम्पन्न ।।
खैरागढ़ सरस्वती संकेत समाचार पत्र
राजेंद्र सिंह चंदेल की रिपोर्ट –
छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन की दूरगामी योजना “चलो गाॅंव की ओर” के अन्तर्गत ग्यारहवाॅं गीत यामिनी आमनेर के किनारे मड़ौदा गाॅंव में सम्पन्न हुआ ।
मध्यरात्रि के बाद तक चले “चलो गाॅंव की ओर” की शुरुआत में श्री विनयशरण सिंह की ” जंगल के रखवाले ( बाल नाटक) और पीयर-पीयर फूल (बाल कविता संग्रह) किताबों का विमोचन हुआ । तत्पश्चात कवि सम्मेलन ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री रवि श्रीवास्तव ने कहा कि इस योजना की शुरुआत स्व.ललित सुरजन, स्व.गोरेलाल चंदेल, डा.जीवन यदु और डॉ.प्रशांत झा ने मिलकर ईटार गाॅंव से किया । इसके सूत्रधार डॉ.प्रशांत झा है,जिसका ग्यारहवां पड़ाव मड़ौदा गाॅंव है । डॉ.राकेश तिवारी ने कहा कि हिन्दी साहित्य सम्मेलन और चलो गाॅंव की ओर का उद्देश्य केवल कविता ही पढ़ना नहीं है , रचना के विविध आयाम से परिचित कराते साहित्य को समाज से जोड़ना भी । डाॅ.प्रशांत झा ने “चलो गाॅंव की ओर” के गीत यामिनी की ग्यारहवें पड़ाव पर प्रकाश डालते हुए कहा की लगातार स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू जी की जन्मदिन की पूर्व संध्या आयोजित किया जाता था । इस वर्ष चुनाव की वजह से अप्रैल के माह में मड़ौदा गाॅंव के विशेष सहयोग से यह संभव हो पाया है। विमोचित किताबों अपनी बात रखते हुए डॉ जीवन यदु ने कहा कि बाल मनोविज्ञान की गहरी समझ रखने वाले श्री विनयशरण सिंह ने बच्चों को ध्यान में रखते हुए छोटे-छोटे छंद में चित्रात्मक शैली के साथ ध्वन्यात्मक शब्दों अच्छा प्रयोग किया है ।
तत्पश्चात कवि सम्मेलन श्री रवि श्रीवास्तव के संचालन में सबसे पहले जीवन यदु ने अपनी चर्चित छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल “आजादी के बाद बबा के” को सस्वर पाठ से और और वर्तमान रोजगार व्यवस्था पर व्यंग गीत “चढ़ जा तैहा नौकरी के रेल” लोक धुन पाठ किया । श्रीमती संतोष झांझी ने अपनी सुमधुर आवाज में मुक्तक के बाद “जिन्दगी श्री विनयशरण सिंह ने दीर्घ व्यंग्य गीत “आजादी के अट्ठहतर साल” का पाठ है । डॉ.प्रशांत झा ने गाॅंव की संस्कृति को रेखांकित करते हुए ” मड़ौदा गाॅंव” का पाठ किया। स्थानीय कवि के रूप में गिरधर सिंह राजपूत ने “गाॅंव अब और तब” गीत का पाठ करते हुए गाॅंव की विसंगतियों को उजागर करते हुए रास्ता दिखाया और कु. देविका साहू ने “छत्तीसगढ़ के सुघ्घर तिहार” शीर्षक से गीत पढ़ी । संकल्प पहटिया ने बदलते धार्मिक-राजनैतिक राष्ट्रवाद से उपजी उत्सव के उन्माद में बदलने दृश्यों को आधार बनाते हुए मुक्त छंद कविता ” नारे का पाठ किया । यशपाल जंघेल ने राम का आश्रय लेकर ” जेमा जतका लूट हे भांचा “छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल का पाठ किया। रवि यादव ने छत्तीसगढ़ी गीत ” ज्ञान बघारे बर बने हे” का पाठ किया। रवीन्द्र पाण्डेय ने हरिशंकर परसाई की परम्परा का निर्वाह करते गद्य व्यंग्य ” ” ईमानदारी यही भली” का पाठ किया। मकसूद अहमद ने उर्दू परम्परा का निर्वाह करते हुए ग़ज़ल पढ़ी । सागर इंडिया ने मंचीय अंदाज में गीत का पाठ किया। और अंत में जीवन यदु ने अपनी देश भर में चर्चित हिन्दी गीत ” जब तक रोटी के प्रश्नों पर” का सस्वर पाठ किया। इस कवि सम्मेलन में निश्चित अंतराल में रवि श्रीवास्तव ने ” माॅं ” और ” “धर्मनिरपेक्ष गिद्ध ” का पाठ किया। और अंत में गाॅंव की नव निर्वाचित सरपंच श्रीमती वर्मा ने आभार प्रदर्शन करते किया।
इससे पहले श्री गिरधर सिंह राजपूत के संचालन में सभी कवि-रचनाकारों का छत्तीसगढ़ी लोक-परम्परा की याद को ताजा करते हुए शाल-श्रीफल के साथ-साथ बैठकी और धान झालर से सम्मान किया और डॉ. मनेन्द्र साहू ने स्वागत भाषण में सभी रचनाकारों का के अमूर्त रूप को साकार करते हुए कहा कि आज दिन और यह रात हम गाॅंववासी के लिए किसी स्वपन के साकार होने के जैसा है।
इस आयोजन को मूर्त आकार देने में राजेश्वर सिंह जंघेल, हेमलेस कुमार चंदेल (अध्यक्ष ग्राम समिति) जितेन्द्र वर्मा ,अशोक कुमार वर्मा (उपाध्यक्ष ग्राम समिति) जितेन्द्र वर्मा ( अध्यक्ष ,सोसायटी मड़ौदा ) टोवादास साहू ,हल्लू वर्मा ( सचिव ), तारण वर्मा ( उपसरपंच मड़ौदा ) विनिता राजपूत ( प्रधान पाठिका बड़ौदा ),आशीष ठाकुर ( सरपंच ग्राम पंचायत बिरौड़ी ) उमराव साहू,नूनकरण साहू , पीलूदास साहू,लीला दास साहू, धनवर निषाद, गजानंद वर्मा, राजेश टंडन, हेमंत पाल, हेमंत चंदेल, केवल चंदेल, भरत वर्मा , भागीरथी वर्मा आदि ग्रामवासियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।