खैरागढ़-छुईखदान-गंडई। राजनांदगांव से पृथक होकर अस्तित्व में आने जा रहे खैरागढ़-छुईखदान-गंडई का बड़ा हिस्सा वन और खनिज संपदा से भरा है। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (केसीजी) जिला 3 सितंबर को राजनांदगांव जिले से अलग होकर एक नए प्रशासनिक इकाई का स्वरूप लेने वाला है। यह क्षेत्र लंबे समय तक नक्सल प्रभावित रहा है। प्रशासनिक विकेंद्रीकरण होने से शासन-प्रशासन इन क्षेत्रों में जनसामान्य के और निकट पहुंचेगा। जालबांधा को पहले ही उप तहसील का दर्जा दिया जा चुका है। वहीं साल्हेवारा को तहसील का दर्जा मिल चुका है। नया जिला के अस्तित्व में आने के बाद क्षेत्र की आम जनता को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलने लगेगा।
प्रचुर वन संपदा से समृद्ध है केसीजीः
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला सघन वनों से आच्छादित है और प्रचुर मात्रा में वन संपदा से समृद्ध है। केसीजी के सघन वनों में लघु वनोपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। कोदो, कुटकी, रागी, भेलवा, बहेड़ा, कालमेघ, लाख, माहुल पत्ता का संग्रहण कर इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लघु वनोपज संग्राहकों को रोजगार एवं आर्थिक लाभ मिल रहा है। नया जिला अस्तित्व में आने के बाद इस क्षेत्र में विकास के और भी नए रास्ते खुलेंगे। वृपौधारोपण, वनोपज विदोहन, नरवा विकास, वन एवं वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्यों में प्रशासनिक कसावट आएंगी तथा विकासोन्मुखी सुविधाओं का विकास होगा।
केसीजी में है खनिज संसाधनों का भी खजानाः
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला खनिज संसाधनों के मामले में भी समृद्ध है, जिससे औद्योगिक विकास को गति मिलने की उम्मीद की जा रही है। खैरागढ़ क्षेत्र में चूना पत्थर गौण खनिज उपलब्ध है। वहीं इसके साथ ही क्वार्टजाईट, सिलिका सेण्ड, ईट मिट्टी जैसे खनिज उपलब्ध हैं।
छुईखदान क्षेत्र में मुख्य खनिज चूना पत्थर उपलब्ध है तथा साधारण पत्थर एवं लौह खनिज अयस्क मिलने की संभावना है। शासन द्वारा 220 करोड़ रूपये की लागत से बनाए जा रहे सिद्धबाबा जलाशय लघु सिंचाई परियोजना से इस क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। लमती नदी में बनने वाले इस परियोजना से 34 ग्राम लाभान्वित होंगे।
1840 हेक्टेयर की भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। कृषि क्षेत्र में विकास के अवसर बढ़ेगे। वहीं सुरही जलाशय लघु सिंचाई परियोजना अंतर्गत वेस्ट वियर की ऊंचाई बढ़ाने तथा नहर का विस्तार का जीर्णोद्धार, लाइनिंग कार्य तथा नहर विस्तार किया जा रहा है। इससे सिंचाई के रकबा में 120 हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी होगी। इसी तरह पिपरिया जलाशय मध्यम सिंचाई परियोजना से 91 ग्राम लाभान्वित हो रहे हैं तथा 6240 हेक्टेयर रकबा में सिंचाई हो रही है।