


खैरागढ़। राज्य निर्माण के 20 साल बाद भी नगर के वार्ड क्र.19 टिकरापारा का पुल नहीं बन सका। इस पुल से रोजाना आधा दर्जन गांवों के लोग गुजरते हैं। हजारों वाहनों का आवागमन होता है। हाल ही में हुए विधानसभ उप चुनाव में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने गंडई में इस पुल के निर्माण की घोषणा की थी। उम्मीद थी कि बरसात के पहले काम शुरू हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के सेतु निगम के अफसरों का कहना है कि विभाग ने प्राक्कलन तैयार कर वित्त विभाग को भेज दिया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर टेंडर किया जाएगा। फिलहाल टिकरापारा पुल छह माह के लिए फिर टल गया। दुखद यह है कि पुल निर्माण के लिए अब तक कांग्रेस—भाजपा जैसे प्रमुख दल के नेता जमीन की लड़ाई नहीं लड़े। भाजपा नेता यह दावा करते रहे कि उनकी सत्ता में पुल स्वीकृत हो गया था लेकिन कांग्रेस की सरकार आने के बाद पैसा वापस ले लिया गया। हैरत की बात है कि भाजपा ने कभी इसका विरोध नहीं किया।
पहली बार राजू यदु ने उठाई थी आवाज
इस पुल के लिए युवा नेता राजू यदु की अगुआई में आंदोलन छेड़ा गया था। हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। पार्षद चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतर कर उन्होंने पुल निर्माण को बड़ा मुद्दा बनाया था। जिले के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत सिंह व नवाज खान से उन्होंने पुल निर्माण कराए जाने की मांग की थी। इसके बाद गंडई के पटेल समाज के सम्मेलन में स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टिकरापारा में पुल निर्माण की घोषणा की थी।
पुल जर्जर, पिछले दिनों ट्रक पलट गया था
बता दें कि टिकरापारा पुल छोटा होने के साथ—साथ संकरा व जर्जर हो चुका है। इस पुल में कई हादसे हो चुके हैं। पिछले दिनों यहां एक ट्रक पलट गया था। वहीं पुल में गिरने से दर्जनों लोग चोटिल हो चुके हैं। अकरजन का एक युवक विकलांग तक होचुका है। इस पुल से टिकरापारा, ग्राम पंचायत अकरजन, कुसियारी, सुतिया, सिंगारपुल, देवरी के ग्रामीण आना—जाना करते हैं।
हर साल टापू में बदल जाता है टिकरापारा
हर साल बारिश में पुल पानी में डूब जाता है। इसके चलते टिकरापारा टापू में बदल जाता है। पानी की वजह से विद्युत व्यवस्था भी प्रभावित हो जाती है। इसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पुल न बनने से थम गया है टिकरापारा का विकास
पुल नहीं बनने से टिकरापारा का विकास थम सा गया है। नगर पालिका सीमा क्षेत्र में आने के बाद भी खासकर नया टिकरापारा का विकास थम सा गया है। पुल नहीं होने से इस क्षेत्र में आज भी ग्रामीण परिवेश सा माहौल बना हुआ है।